रांची : सीबीआई की विशेष अदालत ने चाईबासा कोषागार से जुड़े मामले में राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र को आज पांच-पांच वर्ष की सश्रम कारावास की सजा सुनायी। अदालत ने इन दोनों पर दस लाख और पांच लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। देवघर कोषागार से जुड़े़ एक मामले में सजा होने के बाद से लालू प्रसाद यहां बिरसा मुंडा जेल में बंद हैं। विशेष न्यायाधीश स्वर्ण शंकर प्रसाद ने आज 950 करोड़ रुपये के चारा घोटाले से जुड़े़ चाईबासा कोषागार से 35 करोड़ 62 लाख रुपये फर्जी ढंग से निकालने के जुर्म में राजद सुप्रीमो और पूर्व मुख्यमंत्री समेत 50 अभियुक्क्तों को दोषी ठहराया। अदालत ने छह लोगों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया।
अदालत ने लालू यादव और जगन्नाथ मिश्र को पांच-पांच वर्ष, ध्रुव भगत को तीन वर्ष की कैद और जुर्माने की सजा दी। अदालत ने विद्यासागर निषाद को तीन वर्ष और जगदीश शर्मा को पांच साल कैद की सजा सुनायी। अदालत ने तीन पूर्व आईएएस फूलचंद सिंह, महेश प्रसाद एवं सजल चक्रवर्ती को चार-चार वर्ष की कैद और दो लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनायी। जुर्माना नहीं देने पर उन्हें तीन माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। अदालत ने सभी राजनीतिक कैदियों तथा अधिकारियों को तीन से पांच वर्ष की कैद, महिला आरोपियों को तीन वर्ष की कैद और चारा आपूर्तिकर्ताओं को तीन से पांच वर्ष कैद की सजा सुनायी।
अदालत ने तीन वर्ष की सजा पाने वाले आरोपियों को जमानत के लिए जमानत पत्र भरने के निर्देश दिये। इससे पूर्व देवघर कोषागार मामले में सीबीआई अदालत ने जगन्नाथ मिश्र को बरी कर दिया था। चारा घोटाले का यह तीसरा मामला है जिसमें लालू प्रसाद यादव को दोषी करार दिया गया है। पिछले एक माह में ही लालू प्रसाद चारा घोटाले के इस दूसरे मामले में भी आज दोषी करार दिये गये हैं। इसके अलावा चारा घोटाले से ही जुड़े एक अन्य मामले में भी फरवरी माह में फैसला आने की संभावना है।
चारा घोटाले से जुड़े़ देवघर कोषागार से 89 लाख 27 हजार रुपये की अवैध निकासी के मुकदमे में लालू प्रसाद यादव को साढ़े तीन वर्ष की कैद एवं दस लाख रूपये जुर्माने की सजा सुनायी थी। वहीं उनके दो पूर्व सहयोगी लोक लेखा समिति के तत्कालीन अध्यक्ष जगदीश शर्मा को सात वर्ष की कैद एवं बीस लाख रुपये जुर्माना एवं बिहार के पूर्व मंत्री आर के राणा को साढ़े तीन वर्ष की कैद एवं दस लाख जुर्माने की सजा विशेष सीबीआई अदालत ने सुनायी थी।