The President advocated consensus among political parties for holding elections simultaneously

 नयी दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज राज्य विधानासभाओं के और लोकसभा के चुनाव एक साथ कराने की वकालत करते हुए कहा कि इस विषय पर चर्चा और संवाद बढ़ना चाहिए तथा सभी राजनीतिक दलों के बीच सहमति बनाई जानी चाहिए। संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि देश में सुशासन के प्रति सजग लोगों में देश के किसी न किसी हिस्से में लगातार हो रहे चुनाव से अर्थव्यवस्था और विकास पर पड़ने वाले विपरीत प्रभाव को लेकर चिंता है। उन्होंने कहा कि बार-बार चुनाव होने से मानव संसाधन पर बोझ तो बढ़ता ही है, आचार संहिता लागू होने से देश की विकास प्रक्रिया भी बाधित होती है। इसलिए एक साथ चुनाव कराने के विषय पर चर्चा और संवाद बढ़ना चाहिए तथा सभी राजनीतिक दलों के बीच सहमति बनाई जानी चाहिए।

बजट सत्र के प्रथम दिन अपने अभिभाषण में राष्ट्रपति ने सभी दलों का आह्वान किया कि राष्ट्र निर्माण एक अनवरत प्रक्रिया है, जिसमें देश के हर व्यक्ति की अपनी-अपनी भूमिका है। कोविंद ने कहा, ‘‘ हम सभी का कर्त्तव्य है कि देश के सम्मुख अनुकरणीय आचरण प्रस्तुत करें। राष्ट्र निर्माण से जुड़े लक्ष्य समय पर पूरे हों, यह दायित्व हम सभी का है।’’ राष्ट्रपति ने कहा कि 2022 में जब हमारा देश स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने का पर्व मनाएगा तब तक इन लक्ष्यों की प्राप्ति न सिर्फ स्वतंत्रता सेनानियों और राष्ट्र निर्माताओं के सपने को पूरा करेगी बल्कि नए भारत का आधार भी मजबूत करेगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समेत विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं की मौजूदगी में राष्ट्रपति ने करीब पौने घंटे के अभिभाषण में कहा कि नए भारत का सपना किसी एक राजनीतिक दल या संगठन का नहीं है। यह देश के 130 करोड़ लोगों की आशाओं-आकांक्षाओं को परिलक्षित करता है। उन्होंने कहा, ‘‘ इस सपने को पूरा करने के लिए, हम सभी को मिलकर पूरे समर्पण के साथ काम करना होगा।’’ उन्होंने कहा कि आइए, हम सब मिलकर अपने संविधान के समता और बंधुता के आदर्शों को प्राप्त करने के लिए एक साथ चलें, एक दिशा में चलें, एक निष्ठा से चलें, और भव्य भारत के निर्माण के लिए पूरी ऊर्जा के साथ आगे बढ़ें।

LEAVE A REPLY