जयपुर। रॉक फास्फेट खनन को लेकर वेदांता गु्रप कÞ खिलाफ दर्ज एफआईआर की जांच राजस्थान हाईकोर्ट में न्यायाधीश बनवारी लाल शर्मा की एकलपीठ ने एसीबी के जांच अधिकारी को एक माह में पूरी कर 21 मार्च तक पालना रिपोर्ट पेश करने कÞ आदेश दिए हैं।इस संबंध में एडवोकेट अजय कुमार जैन ने हाईकोर्ट में आपराधिक याचिका दायर कर रखी है। गुरुवार को सुनवाई कÞ दौरान हाजिर हुए जांच अधिकारी से हाईकोर्ट ने पूछा कि एफआईआर दर्ज होने कÞ ढाई साल बीतने कÞ बाद अब तक क्या कार्रवाई की गई। इस पर जांच अधिकारी ने कहा कि खान विभाग को पत्र जारी कर रॉक फास्फेट का खनन निजी कंपनी को देने कÞ संबंध में जानकारी मांगी गई है। मामले में एक माह में जांच पूरी कर ली जाएगी। हाईकोर्ट ने एएजी अनुराग शर्मा से पूछा कि क्या किसी निजी कंपनी को सरकारी कंपनी की तर्ज पर लाभ या सुविधाएं मुहैया कराई जा सकती है। जिसका वो कोई जवाब नहीं दे पाए।
याचिकाकर्ता के सहायक अधिवक्ता आदित्य जैन ने बताया कि रॉक फास्फेट का खनन कÞवल सरकारी कंपनी ही कर सकती है। 2००3 तक हिंदुस्तान जिंक ही इसका खनन करती थी। बाद में हिंदुस्तान जिंक का वेदांता कं पनी में विलय हो गया। 2००6 में सरकार ने खनन लाइसेंस का नवीनीकरण भी नहीं किया। इस पर वेदांता ने हिंदुस्तान जिंक कÞ नाम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की। 2००8 में सरकारी वकील ने तत्कालीन सचिव अशोक सिंघवी कÞ मौखिक निर्देश पर हाईकोर्ट को बताया कि याची को खनन की अनुमति दी जा रही है। इस पर हाईकोर्ट ने याची कÞ पक्ष में प्रकरण तय कर दिया। दोषियों ने मिलीभगत कर हाईकोर्ट कÞ आदेश की अपील नहीं करने का निर्णय लिया। बाद में मामला खुलने पर एसीबी ने 2०11 में पी ई दर्ज कर बाद जांच 23 सितंबर, 2०15 को अशोक सिंघवी व वेदांता कÞ अधिकारियों कÞ खिलाफ एफआईआर दर्ज की। लेकिन कोई कार्यवाही नहीं की। खान विभाग ने 1984 में आदेश जारी कर रॉक फास्फेट का खनन निजी क्षेत्र कÞ लिए स्वीकृत नहीं कर सिर्फ राज्य सरकार कÞ स्वामित्व वाली राजस्थान राज्य खनिज विकास निगम लिमिटेड को ही स्वीकृत करने कÞ संबंध में आदेश जारी किए थे। फिर भी निजी कंपनी को काम दे दिया गया। याचिका में मामलें की जांच सीबीआई से कराने की मांग की गई है।