वाराणसी. राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि यहां पर अपने या संगठन के अहं का कोई स्थान नहीं है। स्वंसेवकों के समर्पण से ही संघ चलेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में समन्वय बैठक के आखिरी दिन आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि आरएसएस एवं उससे जुड़े संगठन के लोगों के अंदर बाहर का अंधकार नहीं आना चाहिए।
सभी लोग संघ पर अगाध श्रद्धा बनाते हुए अपना सफर जारी रखे। उन्होंने हेडगेवार का उदाहरण देते हुए कहा कि उनके पास कुछ नहीं था। दरिद्रता व घोर अभावग्रस्त जीवन था लेकिन उन्हें विश्वास था कि एक न एक दिन संघ अजेय संगठित कार्य शक्ति की स्थानपना करेगा। उनका यह सपना साकार हो गया है।उन्होंने कहा कि हम संघ में आये हैं यह अच्छी बात है, लेकिन इससे अच्छी बात होगा कि संघ भी हमारे में आये। उन्होंने कहा कि लोगों को भारत में विद्रोह फैलाने वाली शक्तियों के प्रति सतर्क रहना होगा। दुनिया में भारत की बढ़ रही प्रतिष्ठा व विकास से जो लोग संतुष्ट नहीं है वह समाज में गलत इतिहास बता कर द्वेष फैला रहे हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी पंथ, समुदाय व व्यक्ति यदि समाज की सेवा लगा है तो उसका प्रचार व सहायता करनी चाहिए। समाज सेवी लोगों को निरंतर संघ के सम्पर्क में रहे और एक-दूसरे पूरक के बने। समाज में बहुत से लोग प्रमाणिकता के साथ समाज में कार्य कर रहे हैं। ऐसे लोगों की मेहनत से ही श्रेष्ठ समाज बनेगा।
उन्होंने कहा कि भारत में खराब काम की तुलना में अच्छे कार्य 20 गुना अधिक हो रहे हैं लेकिन अच्छे काम की चर्चा से अधिक प्रचार खराब काम का होता है। समाज की सेवा करने वाले सच्चे लोग अपनी सेवा को भुनाते नहीं है न तो उनकी राजनीतिक महत्वकांक्षा होती है। ऐसे लोगों की मेहनत से ही समाज में अच्छा कार्य होता रहता है।