बीजिंग. चीन में आज संसद के वार्षिक सत्र की औपचारिक शुरुआत हुई। इस सत्र के दौरान एक संवैधानिक संशोधन को अनुमोदित किए जाने की संभावना है, जिसमें राष्ट्रपति पद पर किसी नेता के दो कार्यकाल की सीमा को खत्म करने का प्रावधान किया गया है। अगर इस संवैधानिक संशोधन को मंजूरी मिल जाती है तो शी आजीवन राष्ट्रपति पद पर बने रह सकते हैं। संसद के वार्षिक सत्र के दौरान चाइनीज पीपुल्स पोलिटिकल कन्सलटेटिव कांफ्रेंस (सीपीपीसीसी) और विधानमंडल नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (एनपीसी) के करीब 5000 प्रतिनिधि पूर्ण सत्र आयोजित कर सत्ताधारी कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) की ओर से इस साल के लिए तैयार व्यापक एजेंडे पर मंथन करेंगे।
इस साल का सत्र अहमियत रखता है और इसने अच्छा-खासा ध्यान भी खींचा है, क्योंकि कुछ दिनों पहले सीपीसी ने सामूहिक नेतृत्व के दशकों पुराने सिद्धांत को दरकिनार कर राष्ट्रपति एवं उप-राष्ट्रपति के लिए दो कार्यकाल की सीमा खत्म करने के संवैधानिक संशोधन को प्रस्तावित किया था। सीपीसी के इस प्रस्ताव ने देश-विदेश में चिंता पैदा कर दी है कि राष्ट्रपति के अलावा सीपीसी एवं सैन्य बलों के अध्यक्ष के पद भी संभाल रहे शी तीसरे कार्यकाल और इससे भी ज्यादा समय तक राष्ट्रपति पद पर बने रह सकते हैं। इससे वह चीन की क्रांति के दिनों में पार्टी के संस्थापक माओत्से तुंग को मिली शक्तियों की तरह उनका इस्तेमाल ऐसे कर सकते हैं जिन पर कोई सवाल नहीं उठाए।
ग्रेट हॉल ऑफ पीपुल में सीपीपीसीसी के उद्घाटन सत्र के साथ ही संसद सत्र की औपचारिक शुरुआत हुई। इसमें शी भी हिस्सा ले रहे हैं। पार्टी ने उन्हें ‘‘कोर नेता’’ नामित किया है। सत्र की शुरुआत का देश भर में टीवी पर सीधा प्रसारण हुआ।
प्रधानमंत्री ली केकियांग, सीपीसी की स्थायी समिति के सदस्य सहित पार्टी के कई नेताओं ने सत्र में हिस्सा लिया। इस साल का संसद सत्र इसलिए भी अहम है क्योंकि शी और ली को छोड़कर लगभग सभी पदों पर तैनात आला अधिकारी बदले जा सकते हैं।