जयपुर। राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अशोक गहलोत ने कहा है कि झुन्झुनू जिले में कुम्भाराम लिफ्ट परियोजना के मलसीसर बांध के टूटने से सरकार की लापरवाही और भ्रष्टाचार उजागर हुआ है। बांध निर्माण की जिम्मेदारी जिस निजी कम्पनी के पास थीए उससे गुणवत्तापूर्ण निर्माण करवाना सरकारी मशीनरी का दायित्व थाए बावजूद इसके इस तरीके का हादसा होना राज्य सरकार की नीयत पर प्रश्न चिह्न उत्पन्न करता है। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि इस प्रकार के बांध पूरा होने के बाद परीक्षण का प्रोटोकॉल होता हैए जिसका पालन नहीं किया गया। जिसके अन्तर्गत बांध की मजबूती जांचने के लिए अलग.अलग ऊंचाई पर पानी भरकर परीक्षण किया जाता है। परीक्षण से पूर्व ही मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे के झुंझुनू में 7 दिवसीय दौरे के दौरान सीएमओ के दबाव में अधिकारियों ने आनन.फानन में 13 दिसम्बरए 2017 को इसका उद्घाटन करवा दिया।
इस जल्दबाजी से बांध के साथ.साथ 44 हजार मिलियन लीटर पेयजल बर्बाद हो गयाए जो परियोजना के अन्तर्गत लाभान्वित होने वाले क्षेत्रवासियों को 45 दिन तक उपलब्ध होता। श्री गहलोत ने कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के समय झुंझुनूए सीकर एवं खेतड़ी में पेयजल उपलब्ध कराने के उद्देश्य से 955 करोड़ रुपये लागत की कुम्भाराम लिफ्ट परियोजना स्वीकृत की गई थी जिसका शुभारम्भ अगस्तए 2013 में किया गया। इसी के अन्तर्गत 588 करोड़ रुपये की लागत से कुम्भाराम लिफ्ट नहर से लेकर झुंझुनू तक का कार्य होना था जिसमें मलसीसर रिजर्वेयर का निर्माण भी सम्मिलित है। यह परियोजना 30 जुलाईए 2016 तक पूर्ण होनी थी।
इस परियोजना से झुन्झुनूए खेतडी, मलसीसर, मण्डावा सहित 1473 गांवों को पीने का मीठा पानी उपलब्ध कराये जाने का लक्ष्य था। लेकिन भाजपा ने सरकार में आते ही इस परियोजना को वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराने में अडंगेबाजी लगायी जिससे निर्माण कार्य अवरूद्ध हुआ। इसके उपरान्त सरकार ने जल्दबाजी में इस परियोजना को शुरू किया तथा कार्य पूर्ण कराने के लिये गुणवत्ता की अनदेखी की गई। जिसकी परिणति आज सबके सामने है। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा इस सम्पूर्ण प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच की जाकर दोषियों के विरूद्ध सख्त कार्यवाही की जाये। साथ ही मलसीसर क्षेत्र के प्रभावितों को राहत देने के लिये तत्काल आवश्यक प्रबन्ध किये जाने चाहिए।