जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने वक्फ बोर्ड के चैयरमेन के तौर पर अबु बकर नकवी का मनोनयन रद्द करने के खिलाफ दायर अपील को खारिज कर दिया है। अदालत ने इस संबंध में एकलपीठ की ओर से गत 4 दिसंबर को दिए आदेश को विधि सम्मत मानते हुए कहा है कि एकलपीठ ने अपने आदेश में कोई विधिक त्रुटि नहीं की है। न्यायाधीश केएस झवेरी और न्यायाधीश वीके व्यास की खंडपीठ ने यह आदेश अबु बकर नकवी की ओर से दायर अपील को खारिज करते हुए दिए।
अपील में कहा गया कि एकलपीठ ने अपीलार्थी के वक्फ बोर्ड में सदस्य के तौर पर किए गए मनोनयन को रद्द कर दिया था। जिसके चलते उन्हें चैयरमेन पद से हटना पड़ा। अपील में कहा गया कि राजस्थान सेवा नियम के नियम 18 के तहत सरकारी कर्मचारी रहते हुए सामाजिक सेवा का काम किया जा सकता है। इसके अलावा नियुक्ति के लिए सरकार की संतुष्ठी होनी चाहिए थी। इसलिए एकलपीठ ने उन्हें पद से हटाने का आदेश विधिक त्रुटि करते हुए दिया है। ऐसे में एकलपीठ के आदेश को रद्द किया जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने अपील को खारिज करते हुए एकलपीठ के आदेश को सही ठहराया है।
गौरतलब है कि सैय्यद नजीर हसन ने एकलपीठ के समक्ष याचिका दायर कर अबु बकर नकवी सहित अफरोद जैदी व नीदा खान को वक्फ बोर्ड में सदस्य बनाने को चुनौती दी थी। याचिका में कहा गया था कि नकवी का चयन समाज सेवा, वित्त, राजस्व, कृषि या टाउन प्लानर की विशेषज्ञता रखने के वर्ग में किया गया है। जबकि बायोडेटा के अनुसार वे सिर्फ बीजेपी कार्यकर्ता ही रहे हैं। जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने गत 4 दिसंबर को नकवी सहित तीनों सदस्यों का मनोनयन रद्द कर दिया था।