जयपुर। गुर्जर आरक्षण को लेकर भरतपुर के बयाना में गुर्जर समाज के पंच-पटेलों की महापंचायत हुई। इस पंचायत में समाज के हजारों लोग जमा हुए, लेकिन आंदोलन के बजाय सरकार को चेतावनी देकर छोड़ दिया गया। सरकार को चेताया है कि 23 मई तक राजस्थान सरकार गुर्जर समाज की मांगों पर फैसला कर लें, अन्यथा गुर्जर समाज आर-पार की लड़ाई लडेगा।
महापंचायत में गुटबाजी भी सामने आई। गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक कर्नल किरोडी सिंह बैंसला ने जहां सरकार के खिलाफ आंदोलन छोड़ने के बजाय सरकार को चेतावनी दी है कि वह 23 मई तक समाज की मांगों पर फैसला कर लें, अन्यथा समाज फिर महापंचायत करेगा। गुर्जर समाज ने ओबीसी में वर्गीकरण करके गुर्जर,रैबारी समेत पांच जातियों को अलग से पांच फीसदी आरक्षण की मांग रखी है। इस मांग को लेकर सरकार ने गुर्जर नेताओं से एक बार मीटिंग भी कर ली है, लेकिन मांग पर कोई फैसला नहीं हो पाया।
गुर्जर समाज की इस मांग से सरकार भी सहमत नहीं बताई जा रही है। क्योंकि ओबीसी में वर्गीकरण करते ही दूसरी जातियां आंदोलन कर सकती है। इस डर से सरकार गुर्जर समाज की इस मांग को केन्द्र सरकार के पाले में भेजने में लगी है। क्योंकि ओबीसी वर्गीकरण का अधिकार केन्द्र के पास चला गया है। वहां से मंजूरी के बाद ही ओबीसी में वर्गीकरण हो सकता है।
– केन्द्र सरकार ने बनाई है रोहिणी कमेटी
केन्द्र सरकार ने ओबीसी में वर्गीकरण के लिए जस्टिस रोहिणी आयोग का गठन किया है। यह आयोग सभी राज्यों को बुला कर उनके यहां ओबीसी जातियों की स्थिति और इससे जुड़े अन्य विषयों की जानकारी ले रहा है। यह आयोग केन्द्र सरकार को ओबीसी में वर्गीकरण का फामुर्ला सुझाएगा। राज्य सरकार के सूत्रों का कहना है कि सरकार अपनी ओर से आयोग गठित करने के बजाय रोहिणी कमेटी के सामने गुर्जरों के मामले को रख कर फिलहाल कुछ और समय के लिए मामले को टाल सकती है। बाद में जब रिपोर्ट आएगी तो उस के हिसाब से निर्णय कर लिया जाएगा। सरकार की ओर से गुर्जरों को दिए गए प्रस्ताव में भी यही कहा गया है कि आयोग अत्यंत पिछडा वर्ग के बारे में जो रिपोर्ट देगा और उस पर केन्द्र सराकर जो निर्णय करेगी, उसी हिसाब से राज्य सरकार भी फैसला कर लेगी। अब 23 मई को गुर्जर जब दोबारा महापंचयत करेंगे तब पता चलेगा कि गुर्जर सरकार के इस प्रस्ताव से सहमत हैं या नहीं।