जयपुर। राजस्थान के एक मेयर के बयान व पत्र से प्रदेश की भाजपा सरकार की कार्यशैली कठघरे में है। हालांकि उनके पत्र को साहसिक फैसला भी बताया जा रहा है। जोधपुर नगर निगम के भाजपा बोर्ड के मेयर घनश्याम ओझा ने एसीबी को पत्र लिखकर कहा है कि नगर निगम कार्यालय भ्रष्टाचार का अड्डा बना हुआ है। हर कोई भ्रष्टाचार में लिप्त है। इससे जनता प्रताडित हो रही है। बिना पैसे किसी का भी काम नहीं होता है। अपने ही विभाग को भ्रष्टाचार मुक्त नहीं करवा पाने से दुखी मेयर ओझा ने एसीबी डीजीपी को पत्र लिखना पड़ा।
पत्र में साफ लिखा है कि नगर निगम के कार्मिक भ्रष्टाचार में डूबे हुए हैं। ऊपर से नीचे तक सभी भ्रष्ट है। वे बिना घूस लिए किसी का भी काम नहीं करते हैं। भ्रष्टाचार के बारे में विस्तार से बताया है। पूरा सिस्टम भ्रष्टाचार में जकड़ा हुआ है। बिना लेन-देन के कोई काम नहीं होता है। सही और वाजिब काम के लिए लोगों को भटकना पड़ता है। जब तक उनकी जेब ढीली नहीं हो जाती है, तब तक निगम कार्मिक उनके काम नहीं करते हैं। तमाम प्रयासों के बाद भी भ्रष्टाचार थम नहीं रहा है। मेयर के एसीबी को भेजे पत्र से नगर निगम मुख्यालय में हडकम्प है। पत्र में अवैध निर्माण और अतिक्रमण के मामलों में बड़ा भ्रष्टाचार बताया। अवैध निर्माण में अफसर-कर्मी के मोटी रकम वसूली जाती है। पत्र में भ्रष्टाचार में लिप्त कार्मिकों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है, जिससे जनता को भ्रष्टाचार से मुक्ति मिल सके और बिना घूस दिए उनके वाजिब काम हो सके। महापौर के पत्र को एसीबी ने परिवाद मानकर दर्ज कर लिया है।
इसकी जांच एक आरपीएस को सौंपी है। एसीबी मेयर के बयान लेकर निगम में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ अनुसंधान करेगी। मेयर के इस पत्र से विपक्ष को भाजपा सरकार को घेरने का मौका मिल गया है वहीं जोधपुर नगर निगम में भ्रष्टाचार की पोल भी सामने आ गई है।