जयपुर। भाजपा से इस्तीफा देने वाले विधायक घनश्याम तिवाड़ी ने जयपुर में चुनावी शंखनाद करते हुए प्रदेश में तीसरा मोर्चा बनाने की घोषणा की है। नई पार्टी के गठन के बाद ही घनश्याम तिवाड़ी की असली परीक्षा अब सामने आएगी। विधानसभा चुनाव में भारत वाहिनी के नेतृत्व में मजबूत तीसरा मोर्चा बन पाएगा या नहीं, यह बड़ी चुनौती उनके सामने रहेगी, साथ ही टिकट वितरण का बड़ा मुद्दा रहेगा। चुनाव को छह महीने बचे हैं, इतने कम समय में मोर्चे के गठन से लेकर प्रदेशव्यापी जनसंपर्क, टिकट वितरण और मोर्चे की मजबूती का काम बहुत कठिन डगर वाला है। हालांकि चार दशक से सक्रिय तिवाड़ी ऐसे कई मुश्किल पलों को झेल चुके हैं। अब देखना है कि इस नई जिम्मेदारी की परीक्षा को पास कर पाते हैं या नहीं। वैसे उनके राजनीतिक अनुभव और प्रदेश में पकड़ को देखते हुए लगता है कि कांग्रेस और भाजपा को इस बार तीसरे मोर्चे से कड़ी टक्कर मिल सकती है।
तीसरे मोर्चे के लिए बिडला सभागार में भारत वाहिनी पार्टी के प्रथम सम्मेलन में घनश्याम तिवाड़ी को कार्यकर्ताओं ने पार्टी की बागडोर सौंपते हुए अध्यक्ष बनाया है। तिवाड़ी ने ऐलान किया है कि भाजपा और कांग्रेस बीस साल से राजस्थान की संपदा की लूट-खसोट में लगी हुई है। प्रदेश के विकास और आम जन की तकलीफों को दूर करने में दोनों ही दल विफल रहे हैं। इनकी नीतियों से राजस्थान बीमारु राज्य की श्रेणी में पहुंच गया है। भारत वाहिनी के नेतृत्व में प्रदेश में मजबूत तीसरा मोर्चा बनाकर भाजपा व कांग्रेस को सत्ता से बाहर किया जाएगा। राजस्थान नवनिर्माण के संकल्प के साथ प्रदेश की सभी दो सौ सीटें पर प्रत्याशी उतारे जाएंगे। सम्मेलन में प्रदेश भर से हजारों प्रतिनिधि शामिल हुए। सम्मेलन में भाजपा के चार पूर्व विधायकों डॉ. मूलसिंह शेखावत, नारायण राम बेड़ा, गुलाब सिंह राजपुरोहित, भंवरलाल राजपुरोहित ने भारत वाहिनी की सदस्यता ली। सम्मेलन के भाजपा के आधा दर्जन जिलों के पूर्व जिलाध्यक्ष, महामंत्री व दूसरे पदाधिकारी भी शामिल हुए। वहीं दीनदयाल वाहिनी का भारत वाहिनी में विलय कर दिया गया। भारत वाहिनी के इस सम्मेलन के साथ ही प्रदेश में सियासी हलचल बढ़ेगी और तीसरा मोर्चा की मुहिम में तेजी दिखेगी। भारत वाहिनी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश तिवाड़ी ने वाहिनी की संगठनात्मक प्रगति, संविधान व संरचना का विवरण दिया।
भारत वाहिनी पार्टी के अध्यक्ष बने घनश्याम तिवाड़ी की असली परीक्षा सामने आएगी। विधानसभा चुनाव से पहले तीसरा मोर्चा के गठन में वे कितना सफल हो पाते हैं, यह मुश्किल चुनौती उनके सामने है। वे निर्दलीय हनुमान बेनीवाल, कांग्रेस-भाजपा के विरोधी दलों के साथ तीसरे मोर्चा बनाने की कह रहे हैं। तिवाड़ी कह रहे हैं कि वे हर समान विचारधारा दलों के संपर्क में है, लेकिन असली परीक्षा तो चुनाव के दौरान होगी, जब टिकटों के बंटवारे को लेकर सहमति बनाना और एकजुट होकर मोर्चे को मजबूती देना बड़ी चुनौती होगी। विधानसभा चुनाव ही घनश्याम तिवाड़ी का राजनीतिक भविष्य तय करेंगे। अगर वे मोर्चे बनाने और कुछ हद तक भी तीसरे मोर्चे के प्रत्याशी को विजयी बनाने में सफल हो पाए तो उनके राजनीतिक जीवन को संजीवनी मिल सकती है। वैसे तिवाड़ी के इस दल के प्रथम सम्मेलन में चार पूर्व विधायकों व आधा दर्जन पूर्व जिलाध्यक्षों के आने से साफ है कि भविष्य में प्रदेश की राजनीति में काफी उथल पुथल रहेगी।
सम्मेलन में घनश्याम तिवाड़ी ने केन्द्र की नरेन्द्र मोदी और प्रदेश की वसुंधरा राजे सरकार की नीतियों व कार्यक्रमों को लेकर जमकर कोसा। तिवाड़ी ने आरोप लगाया कि प्रदेश में पार्टी और सरकार एक व्यक्ति की जागीर हो गई, जिसके सामने सभी नतमस्तक हो गए। वसुंधरा राजे सरकार प्रदेश की संपदा को लूटने, भ्रष्टाचार में लगी हुई है, लेकिन न तो पार्टी व न ही केन्द्रीय नेतृत्व इस रोक पा रहा है। तिवाड़ी ने कहा कि जीएसटी, आधार, एफडीआई को लेकर नरेन्द्र मोदी ने मनमोहन सरकार के खिलाफ बड़े-बड़े बयान दिए, लेकिन सत्ता में आते वे सब भूल गए और इन्हें मनमाने तरीके से लागू कर दिया। जिससे देश का व्यापार चौपट हो गया। देश की सुरक्षा खतरे में पड़ गई। नोटबंदी ने कालेधन को सफेद कर दिया।