जयपुर। भाजपा विधायक नरपत सिंह राजवी के अपनी ही पार्टी के पार्षद और चेयरमैन भगवत सिंह देवल, शहर अध्यक्ष संजय जैन और अन्य पदाधिकारियों पर नामजद भ्रष्टाचार में लिप्त होने के आरोप लगाए है। इन भ्रष्टाचारों की जांच को लेकर सीएम वसुंधरा राजे को लम्बा-चौड़ा पत्र भी लिखा है। राजवी के आरोपों से जयपुर की सियासत गरमा गई है। खासकर पार्षदों व निगम प्रशासन में हडकम्प मचा हुआ है। राजवी ने देवल, संजय जैन के अलावा भाजपा पदाधिकारी व देवल के नजदीकी रिश्तेदार हिम्मत सिंह रोहिणा व राम सिंह हरसोली पर सफाई व पार्किंग ठेकों, अवैध निर्माण में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं।
चर्चा है कि मीडिया में भ्रष्टाचार के आरोप उजागर होने पर राजवी के आरोपों की जांच का दबाव बढ़ेगा। आरोपों की जांच एसीबी या जयपुर पुलिस को सौंपी जा सकती है। नगर निगम प्रशासन भी राजवी के आरोपों की जांच करवा सकता है। विद्याधर नगर विधानसभा की सियासत को देखते हुए राजवी भी इस मामले को छोड़ने के मूड में नहीं है। सीएम की तरफ से कोई एक्शन नहीं होने पर वे खुद भी एसीबी को शिकायत भेज सकते हैं, ऐसा उनके समर्थक कार्यकर्ताओं का कहना है। यह पहली बार है जब पार्टी के विधायक ने अपने पार्षदों, कार्यकर्ताओं व शहर अध्यक्ष पर सीधे तौर पर नियम-कायदों को दरकिनार करते हुए नगर निगम में ठेके लेने और उसमें भ्रष्टाचार में लिप्त रहने के आरोप लगाए हैं। अब इनकी जांच की मांग कर रहे हैं।
अगर जांच हुई तो अपने नजदीकी रिश्तेदारों व लोगों के माध्यम से ठेकेदारी में लिप्त पार्षदों व भाजपा पदाधिकारियों पर कानूनी शिकंजा कस सकता है। उधर, राजवी के आरोपों का पत्र मीडिया में आते ही संबंधित पार्षद व पदाधिकारी बचाव की मुद्रा में आ गए हैं। बीस-इक्कीस जुलाई को प्रदेश कार्यसमिति की बैठक से पहले भ्रष्टाचार के इस खुलासे से पार्टी भी सकते में है। पार्टी राजवी के पत्र के आधार पर पार्षद व पदाधिकारियों से स्पष्टीकरण मांग सकती है।