जयपुर। राजस्थान के बहुचर्चित सिंडिकेट बैंक के एक हजार करोड़ रुपए के लोन घोटाले के कई आरोपी अभी भी सीबीआई की पकड़ से दूर है। वे ना तो सीबीआई को मिल रहे हैं और ना ही इस मामले में सरेण्डर कर रहे हैं। साथ ही एक हजार करोड़ रुपए के लोन घोटाले में उन लोगों पर शिकंजा कसना आभी बाकी है, जिन्होंने फर्जी दस्तावेज से दूसरों के नाम से लोन उठाया और उसके धंधों में पैसा खपा दिया। सीबीआई ऐसेे लोगों पर भी शिकंजा कसेगी। हालांकि सिंडीकेट बैंक प्रबंधन से अपेक्षित सहयोग नहीं मिलने से जांच प्रभावित हो रही है। उधर, इस मामले में सीबीआई कोर्ट क्रम दो जयपुर में आरोपियों पर चार्ज तय करने के लिए बहस चल रही है। अभियोजन और बचाव पक्ष की ओर से अपने-अपने तर्क और दस्तावेज रखे जा रहे हैं। इस बड़े घोटाले में मुख्य आरोपी बिल्डर शंकर खण्डेलवाल, सीए भरत बंब, पीयूष जैन, विनीत जैन समेत कई आरोपी है, जिनमें सिंडीकेट बैंक के आला अफसर और कर्मचारी भी शामिल रहे हैं। शंकर खण्डेलवाल समेत अन्य आरोपी जमानत पर बाहर है। सीबीआई ने पिछले साल ही सभी आरोपियों को घोटाले में लिप्त मानते हुए चालान पेश किया था। इस मामले में सिडीकेट बैंक के दिल्ली स्थित तत्कालीन महाप्रबंधक सतीश कुमार, जयपुर के तत्कालीन क्षेत्रीय उप महाप्रबंधक संजीव कुमार, एमआई रोड स्थित शाखा के तत्कालीन मुख्य प्रबंधक देशराज मीणा और जयपुर की मालवीय नगर शाखा के तत्कालीन सहायक महाप्रबंधक आदर्श मनचंदा तथा उदयपुर के तत्कालीन सहायक महाप्रबंधक अवधेश तिवारी के खिलाफ रिपोर्ट हुई थी। इन पर आरोप है कि जयपुर, उदयपुर समेत अन्य शहरों के उद्योगपतियों, बिल्डर और दूसरे लोगों से मिलीभगत करके दूसरे लोगों के नाम से लाखों-करोड़ों रुपए के लोन उठा लिए और इस लोन राशि को रियल स्टेट समेत अन्य धंधों में खपा दिया। जब लोन राशि नहीं चुकाई गई तो बैंक ने नोटिस जारी किए गए। नोटिस मिलकर लोगों को धोखाधड़ी का पता चला। जिन्होंने कभी लोन लिया नहीं, उनके नाम से भी करोड़ों रुपए के लोन उठा लिए। एक बाद एक कई मामले सामने आनेे और रिपोर्ट दर्ज होने के बाद यह मामला सीबीआई को दे दिया गया। फिलहाल सीबीआई की पकड़ से कई ऐसे व्यापारी, बिल्डर और वे लोग दूर है, जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर इस घोटाले से जुड़े हुए थे।
बैंक नहीं दे रहे पूरी जानकारी
जयपुर के मालवीय नगर और झोटवाड़ा थाने में सिंडीकेट बैंक से लोन गबन का मामला दर्ज हुआ है। फर्जी खातों और दस्तावेजों से करीब १०००00 करोड़ का लोन उठाया गया था। काफी लोन राशि उदयपुर स्थित बैंक से स्वीकृत हुई थी। इनमें से 18 लोन उदयपुर ब्रांच के माध्यम से थे। सीबीआई ने सिडीकेट बैंक से फर्जी दस्तावेज से उठाए गए लोन में जिन जिन खातों में पैसा गया, उन सबकी डिटेल मांगी थी, लेकिन बैंक प्रबंधन पूरी जानकारी देने से बच रहा है। बैंक प्रबंधन आधी-अधूरी जानकारी देकर इस घोटाले पर अभी भी पर्दा डालने में लगे हुए हैं। ताकि वे इस घोटाले में शामिल दूसरे लोगों को बचाने में लगे हुए हैं। सिंडीकेट बैंक ने इस घोटाले को दबाने के लिए काफी प्रयास किए थे, लेकिन पुलिस में शिकायत होने के बाद यह मामला उजागर हो गया। घोटाले में कई बैंक अफसर भी शामिल रहे। सीबीआई घोटाले में लिप्त और फरार चल रहे आरोपियों की तलाश में जुटी हुई है।