जयपुर। अलवर का सरिस्का अभयारण्य में बाघ की मौत का सिलसिला थम नहीं रहा है। एक दशक पहले शिकारियों ने पूरे अभयारण्य को ही बाघ विहीन कर दिया था। अब भी यह सिलसिला थम नहीं रहा है। शिकारियों तो सक्रिय है ही, वहीं वन विभाग की लापरवाही भी बाघों की मौत का कारण बन रही है। रविवार को एक और बाघ एसटी-4 की मौत हो गई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इस घायल बाघ का पेट खाली मिला है, जिससे अंदेशा है कि वन विभाग की निगरानी में होने के बावजूद इसे खाना नहीं दिया गया और यह मर गया।
करीब दो सप्ताह पहले बाघ एसटी 6 और एसटी 4 की की झड़प हो गई थी, जिसमें एसटी 4 घायल हो गया था। उसका एक पांव काफी जख्मी हो गया था। वन विभाग ने बाघ को एनक्लोजर में रखा हुआ था। रविवार सुबह उसने दम तोड़ दिया। पांव जख्मी होने के कारण वह चल नहीं पा रहा था और ना ही शिकार। वनकर्मियों ने उसे मां देने के बजाय एक जीवित जानवर बांध दिया। लेकिन पांव जख्मी होने के कारण वह उसे मारकर खा नहीं सका और भूख से उसकी मौत हो गई। इससे पहले फ रवरी 2018 में बाघिन एसटी-5 और अगले महीने मार्च 2018 में बाघ एसटी-11 को शिकारियों ने फ ंदा लगाकर मार डाला था।