दिल्ली। एसएससी परीक्षाओं में होने वाली धांधली और भ्रष्टाचार के सुप्रीम कोर्ट में दायर जनहित याचिका की आज सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की। छात्रों की ओर से सर्वोच्च न्यायालय में वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण पेश हुए और सरकार के हठधर्मी रवैये के खिलाफ एक बड़ी जीत हासिल की।
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील और स्वराज अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रशांत भूषण की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने तीन सदस्यीय समिति का गठन किया और कहा कि यह समिति भविष्य में होने वाली परीक्षाओं में सुधार संबंधी सुझाव देगी। अदालत ने समिति सदस्यों के तौर पर इंफोसिस के पूर्व चेयरमैन नंदन नीलकेणी और कंप्यूटर वैज्ञानिक विजय भाटकर के नामों की तत्काल घोषणा कर दी, जबकि तीसरे सदस्य के नाम के लिए युवा-हल्लाबोल के याचिकाकर्ता प्रशांत भूषण से सुझाव मांगा।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए पूछा कि एसएससी मामले में जो सीबीआई जांच चल रही है, उसमें क्या प्रगति है, कितने आरोपी पकड़े गए और छानबीन का परिणाम अब तक क्या निकला। वहीं अदालत ने सरकार से यह भी पूछा कि SSC CGL 2017 की परीक्षा को क्यों न रद्द कर दिया जाए। इस मामले की अगली सुनवाई अब 13 जनवरी को में होगी।
गौरतलब है कि युवा-हल्लाबोल ने दो दिन पहले ही 8 जनवरी को दिल्ली के प्रेस क्लब में एसएससी परीक्षाओं में हो रही गड़बड़ी समेत बेरोजगारी खत्म करने को लेकर प्रेस कांफ्रेंस किया था। प्रेस कांफ्रेंस के अगले दिन 9 जनवरी को युवा-हल्लाबोल के छात्रों-युवाओं ने अपनी मांगों को पूरा करने और राज्यसभा में बैठे सांसदों को अपनी आवाज सुनाने के लिए संसद भवन पर भी प्रदर्शन किया, जिसके बाद पुलिस द्वारा छात्रों की धरपकड़ भी हुई।
युवा हल्लाबोल का नेतृत्व कर रहे अनुपम ने कहा कि दिल्ली के एसएससी हेडक्वार्टर से छात्रों का जो जोरदार आंदोलन शुरु हुआ, उसके बाद से ही लगातार युवा हल्लाबोल के साथी एसएससी के भ्रष्टाचार के खिलाफ और रोजगार की गारंटी के लिए संघर्षरत हैं। इस लंबी लड़ाई की यह पहली जीत है कि आज सुप्रीम कोर्ट ने समिति बनाने की हमारी मांग मान ली। हमें उम्मीद है कि समिति बनाने से भर्ती परीक्षाओं में भ्रष्टाचार के खात्मे और पेपर लीक की मॉडस आपरेंडी पर रोक लग पाएगी।
एसएससी परीक्षा के माध्यम से सीबीआई, रेलवे, विदेश मंत्रालय, जीएसटी, गृह मंत्रालय, डाक विभाग, सीएजी जैसे विभागों में अभ्यर्थियों को नौकरी मिलती है। SSC CGL में तीन चरणों की परीक्षा के बाद अंतिम रूप से चयनित होते हैं। 2017 की परीक्षा जिसपर धांधली का आरोप लगाया गया में इन तीनों चरणों की परीक्षा हो चुकी है।
युवा हल्लाबोल से जुड़े अमित कुमार के मुताबिक बिहार, मध्यप्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब और हरियाणा में युवा हल्लाबोल की टीम रोज़गार के अवसर और चयन प्रणाली में सुधार को लेकर व्यापक अभियान चला रही है।