delhi. सीबीडीटी डेटा एनालिटिक्स के इस्तेमाल से नॉन-फाइलर्स मॉनिटरिंग सिस्टम (एनएमएस) के जरिये आयकर रिटर्न दाखिल न करने वालों की पहचान की और उनसे अनुरोध किया कि वे आकलन वर्ष 2018-19 के लिए अपनी कर देनदारी का आकलन करें और 21 दिनों के भीतर आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल करें अथवा जवाब दें.
नॉन-फाइलर्स मॉनिटरिंग सिस्टम (एनएमएस) का उद्देश्य उन व्यक्तियों की पहचान करना और उन पर नजर रखना है जिन्होंने बड़े सौदे किए हों और जिन पर संभावित कर देनदारी बनती हो लेकिन फिर भी उन्होंने अपना कर रिटर्न दाखिल नहीं किया है। आयकर रिटर्न दाखिल न करने वाले उन लोगों की पहचान करने के लिए एक विश्लेषण किया गया जिनके बारे में कुछ खास जानकारी आयकर विभाग के डेटाबेस पर उपलब्ध थी। सूचना के स्रोतों में वित्तीय लेनदेन के ब्यौरे (एसएफटी), अग्रिम कर कटौती (टीडीएस), अग्रिम कर संग्रह (टीसीएस), विदेश भेजी गई रकम के बारे में जानकारी, निर्यात एवं आयात डेटा आदि शामिल हैं।
आंकड़ों के विश्लेषण से रिटर्न दाखिल न करने वाले कई संभावित करदाताओं की पहचान की गई जिन्होंने वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान अधिक मूल्य के लेनदेन किए थे, लेकिन आकलन वर्ष 2018-19(वित्त वर्ष 2017-18 से संबंधित) के लिए आयकर रिटर्न अब तक दाखिल नहीं किया है। विभाग ने करदाताओं के लिए अनुपालन लागत कम करने के उद्देश्य से इन एनएमएस मामलों को ई-सत्यापन के लिए समर्थ बनाया है ताकि ऑनलाइन उनका जवाब हासिल किया जा सके। यह दोहराया जाता है कि अपना जवाब जमा कराने के लिए किसी भी आयकर कार्यालय जाने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि पूरी प्रक्रिया को ऑनलाइन पूरा किया जाना है।
करदाता अपने मामले से संबंधित जानकारी’कंप्लायंस पोर्टल’ से हासिल कर सकते हैं जो विभाग के ई-फाइलिंग पोर्टल https://incometaxindiaefiling.gov.in. के जरिये सुलभ है। पैन धारक को कंप्लायंस पोर्टल पर इलेक्ट्रॉनिक रूप से अपना जवाब देना चाहिए और प्रिंटआउट को रिकॉर्ड के लिए रखना चाहिए। उपयोगकर्ता गाइड और अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (एफएक्यू) कंप्लायंस पोर्टल पर ‘रिसोर्स’ मेन्यू के तहत प्रदान किए गए हैं।
रिटर्न दाखिल न करने वालों से अनुरोध है कि वे आकलन वर्ष 2018-19 के लिए अपनी कर देनदारी का आकलन करें और 21 दिनों के भीतर आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल करें अथवा जवाब दें। यदि जवाब संतोषजनक पाया गया तो मामले को ऑनलाइन बंद कर दिया जाएगा। लेकिन उन मामलों में जहां कोई रिटर्न दाखिल न किया गया हो अथवा कोई जवाब न दिया गया हो, आयकर अधिनियम 1961 के तहत प्रक्रिया शुरू करने पर विचार किया जाएगा।