जयपुर। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ.रघु शर्मा ने कहा है कि राज्य सरकार रोगमुक्त राजस्थान के निर्माण के लिए संकल्पबद्ध होकर कार्य कर रही है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना का दायरा बढ़ाकर हृदय रोग सहित अन्य गंभीर रोगों की दवाईयां निशुल्क उपलब्ध कराई जाएगी। डॉ. शर्मा शनिवार को होटल मेरिएट में आयोजित इंडियन सेक्शन ऑफ इन्टरनेशनल सोसायटी फॉर हार्ट रिसर्च के 16वे वार्षिक सम्मेलन के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे। राजस्थान यूनिवर्सिटी आफ हैल्थ साईनसेज के तत्वावधान में आयोजित इस 3 दिवसीय सम्मेलन में देश विदेश केे विख्यात हृदय रोग विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा सरकार राज्य के प्रत्येक नागरिक को ‘राइट टू हेल्थ‘ देने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने बताया कि जन घोषणा पत्र में सबके लिये स्वास्थ्य सेवायें प्रदान करने के साथ ही रोगमुक्त राजस्थान के निर्माण का संकल्प लिया है। सभी के लिए निश्चित अवधि में गुणवत्ता पूर्ण चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराने की दिशा में राज्य सरकार सतत् प्रयत्नशील है।
उन्होंने कहा कि ‘‘पहला सुख निरोगी काया‘ माना जाता है। स्वस्थ व्यक्ति ही समाज और राष्ट्र के विकास में उल्लेखनीय भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान परिवेश में बढ़ती जनसंख्या की स्थिति, बिगड़ता पर्यावरण, अशुद्ध खानपान, अशुद्ध पेयजल, बढ़ता मानसिक तनाव एवं बदलती जीवनशैली इत्यादि विसंगतियों से स्वास्थ्य संबंधित अनेक समस्यायें बढ़ रही हैं। डॉ. शर्मा ने बताया कि निःशुल्क दवा योजना का दायरा बढ़ाते हुए अब इसमें कैंसर, हृदय रोग, श्वसन और गुर्दा जैसे गंभीर रोगियों को दी जाने वाली महंगी दवाओं को भी जोड़ा जा रहा है। प्रदेश में 600 नवीन दवा वितरण केंद्र खोलने से आमजन को चिकित्सा केंद्रों में सुगमता से निःशुल्क दवा उपलब्ध हो सकेगी।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि विश्व में 29 प्रतिशत मौतों का कारण दिल की बीमारियां मानी जाती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भारत में 20 प्रतिशत लोग किसी न किसी रूप में हृदय रोगी हैं और वर्ष 2020 तक यह संख्या दोगुनी हो जाएगी। एम्स नई दिल्ली द्वारा 14 वर्ष से अधिक की उम्र के बच्चों के सवेर्ं के अनुसार 25 प्रतिशत बच्चों में हाइपरटेंशन व मोटापा है और यही हृदय रोग का कारण बनता है।
डॉ. शर्मा ने बताया कि चिकित्सा विभाग हृदय रोग के उपचार की सुविधाओं को निरन्तर बढा रहा है। आवश्यक सुविधाएं व विशेषज्ञ चिकित्सकों की सेवाएं सुलभ करायी जा रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि नियमित जीवन शैली से हृदयघात में 3 प्रतिशत कमी संभव है। इसके लिये योग, ध्यान, व्यायाम और भ्रमण आदि के साथ ही स्वास्थ्यवर्द्धक भोजन के प्रति जागरूकता भी आवश्यक है। राज्य में 33 स्थानों पर योग सेंटर विकसित किए गए हैं, इसके साथ ही इनका विस्तार भी किया जाएगा
उन्होंने एसएमएस अस्पताल के हृदय रोग विभाग को टावी पद्वति से सफल ऑपरेशन कर उत्तर भारत का पहला सरकारी अस्पताल बनने पर बधाई दी। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री के सलाहकार डॉ. गोविन्द शर्मा, आरयूएचएस विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. राजा बाबू पंवार सहित बड़ी संख्या में डॉक्टर औैर विद्यार्थी उपस्थित थे।