श्रीगंगानगर। शौर्य की धरती राजस्थान प्रेम की भी निशानी रही है। ढोला-मारु का अमर प्रेम आज भी धोरों की धरती में गूंजता है, वहीं लैला-मजनूं की प्रेम कहानी भी सदियों से गूंजती रही है। भले ही लैला-मजनूं का प्यार इस मरु प्रदेश में परवान नहीं चढ़ा हो, लेकिन इन दोनों प्रेमियों की मौत राजस्थान के श्रीगंगानगर में हुई। इनकी मजार पर वेलेंटाइन डे पर खासी भीड़ उमड़ती है। वो भी युवा दिलों और प्रेमियों की। वैसे भी अन्य दिनों में भी मजार पर युवा प्रेमी सजदा करने आते रहते हैं। लैला-मजनूं की यह मजार राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले के बिंजौर में है। सालों से यहां प्रेमी युगल सजदा करते रहे हैं और एक-दूसरे का साथ उम्रभर निभाने की कसमें खाते हैं। मन्नतों के धागे बांधते हैं। यह मजार पाकिस्तान सीमा के नजदीक है। मात्र दस किलोमीटर पर ही पाक सीमा आती है। जून में मजार पर दो दिन तक बड़ा उर्स (मेला)भी लगता है। इस मेले में वैसे तो हर समाज-धर्म के लोग पहुंचते हैं, लेकिन इसमें भी युवा जोडे ज्यादा दिखाई देते हैं। हालांकि डेढ दो दशक से वेलेन्टाइन डे पर भी यहां मेले जैसा हुजूम लगने लगा है। यहां आने वालों में प्रेमी युगल, अंतरजातीय विवाह करने वाले जोडे की तादाद अधिक होती है। लैला-मजनूं की मजार पर फूल-चादर चढ़ाते हैं और जिंदगी भर साथ रहने के कस्मे-वादे करते हैं। मुस्लिम, हिन्दु, सिख, इसाई सभी धर्मों के लोग यहां देखे जा सकते हैं। लैला-मजनूं दरगाह की सेवा में लगे खादिमों का कहना है कि लैला-मजनू पाकिस्तान से यहां आकर दम तोड़ते हैं। बताया जाता है कि भूख-प्यास इस सरहदी क्षेत्र में उनकी मौत हुई थी और जीते जी तो वे एक नहीं हो पाए, लेकिन एक साथ रुखसत हुए और दोनों की मजार भी एक साथ है। सरहदी क्षेत्र होने के कारण बीएसएफ और भारतीय सेना के जवानों के लिए भी यह मजार आस्था का केंद्र है। आजादी से पहले और बाद में भी पाकिस्तान से भी लोग यहां आते थे लेकिन बाद में भारत-पाक में तनाव और तारबंदी के बाद यहां पाक नागरिकों का आना-जाना बंद हो गया।