चैन्नई। तमिलनाडू की राजनीति में अपनी पेठ बनाने को प्रयासरत शशिकला (चिन्नमा) के सपनों पर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद पानी फिर गया। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद चिन्नमा सरेंडर करने से पहले अम्मा (जयललिता) की समाधि पर पहुंची। चिन्नमा अम्मा की समाधि पर करीब 10 मिनट तक रुकी। इस दौरान उन्होंने हाथ जोड़कर प्रार्थना की। बाद में अम्मा की समाधि पर तीन मर्तबा जोर-जोर से थपकी दीें। चिन्नमा का अम्मा की समाधि पर थपकी देना राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया। जानकारों विशेषकर पार्टी से जुड़े समर्थकों का एक गुट यह कह रहा था कि अम्मा की समाधि पर तीन मर्तबा थपकी देकर चिन्नमा ने यह संकेत दिया कि उन्होंने शपथ ली कि जल्द ही लौटकर अम्मा के सपने को पूरा किया जाएगा। साथ ही जो लोग पार्टी के खिलाफ बगावत कर रहे हैं उनसे सख्ती से निपटा जाएगा। वहीं जानकारों का एक तबका यह कहते भी सामने आया कि अम्मा की समाधि पर थपकी देकर चिन्नमा ने पछतावा जताया कि आखिर क्यों वे उनकी संपत्ति की भागीदार बनी। जिसके चलते उन्हें राजनीति की पहली सीढ़ी चढऩे के साथ ही जेल की हवा खानी पड़ी। साथ ही लंबा राजनीतिक बनवास मिला सो अलग। बरहाल चर्चाओं के मामले में जीतने मुंह उतनी बात होती रहेगी। फिलहाल चिन्नमा को कोर्ट के आदेशों के बाद सरेंडर के लिए जाना पड़ा। चिन्नमा के सरेंडर करने के मद्देनजर बेंगलुरु में कोर्ट को सुरक्षा के चलते सेंट्रल जेल में शिफ्ट कर दिया गया। उन्होंने इसी जेल में सरेंडर किया। इससे पहले चिन्नमा विधायकों के साथ बातचीत करते हुए भावुक हो गई। इस दौरान उनकी आंखें आंसूओं से डबडबा आई। उन्होंने कहा मुझे पार्टी से अलग कोई भी ताकत नहीं कर सकती। मैं पार्टी के लिए काम करती रहूंगी। इस दौरान उनके साथ करीब 100 विधायक मौजूद थे। गौरतलब है कि बेहिसाब संपत्ति के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश के पलटते हुए शशिकला को 4 साल जेल में रहने की सजा सुनाई थी। सजा के 6 साल बाद तक वे चुनाव नहीं लडऩे व 10 साल तक कोई राजनीतिक पद नहीं लेने के भी आदेश जारी किए गए थे। इधर एआईएडीएमके पार्टी अब टूटने के कगार पर आ गई है। जेल जाने से पहले चिन्नमा ने पार्टी के पल्लानीसामी को पार्टी का नेता घोषित कर दिया था। ऐसे में 1972 में एमजी रामचंद्रन (एमजीआर) के प्रयासों से खड़ी हुई यह पार्टी अब 1987 के बाद फिर दो धड़ों में बंटती नजर आ रही है।

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