BJP President Satish Poonia, Chief Minister Ashok Gehlot

जयपुर, 17 जनवरी। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष डाॅ. सतीश पूनियां ने आज शुक्रवार को प्रदेश सरकार द्वारा जयपुर के जगतपुरा में पाक विस्थापितों को जमीन आवंटित करने के निर्णय को स्वागत योग्य बताते हुए कहा है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का यह निर्णय, देर आए लेकिन दुरुस्त आए वाला है। गहलोत सरकार को सद्बुद्धि आई, सरकार ने अपनी गलती को सुधारा। भाजपा द्वारा प्रदेश भर में चलाए जा रहे नागरिकता संशोधन कानून के पक्ष में जन जागरण अभियान को प्रदेश की जनता ने भरपूर सहयोग दिया है। उसको देखते हुए जयपुर में पाक विस्थापितों को भूमि आवंटन का फैसला अच्छा निर्णय है। किन्तु अब मुख्यमंत्री गहलोत स्पष्ट करें कि राजनीतिक मजबूरियों के चलते उन्होंने नागरिकता संशोधन कानून का विरोध किया, इसके विरोध में उन्होंने शांति मार्च निकाला, जिसके कारण पाक विस्थापितों में यह भ्रम फैल गया कि कांग्रेस सरकार उनके हितों की रक्षा नहीं करेगी और ना ही वह उन्हें नागरिकता देगी। पाक विस्थापितों को गहलोत सरकार ने भूमि आवंटन करके एक शुरुआत की है, अतः गहलोत सरकार से हमारी मांग है कि वह शेष पाक विस्थापितों में यह संदेश दे कि वे उनको भारत की नागरिकता प्रदान करेगी और केंद्र सरकार के कानून को यथावत रूप से प्रदेश में लागू करेगी।

प्रदेशाध्यक्ष डाॅ. सतीश पूनियां ने कहा कि मुख्यमंत्री गहलोत नागरिकता संशोधन कानून का विरोध करके मीडिया माइलेज ले रहे हैं। वे जनता के बीच में अपना एक धर्मनिरपेक्ष चेहरा स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन साथ ही साथ पाक विस्थापितों के अरमानों पर पानी भी फेरते हुए दिख रहे हैं। जब यह चुनौती देते हैं कि राजस्थान में नागरिकता संशोधन कानून लागू नहीं होगा। वहीं जयपुर विकास प्राधिकरण ने ऐसे 100 पाक विस्थापितों को जयपुर के जगतपुरा में बसाई खुसर योजना में जोन नंबर 9 में जमीन आवंटित की है। अच्छी बात है कि पाक विस्थापितों को आशियाना मिला है। मुख्यमंत्री गहलोत को स्पष्ट करना चाहिए कि वे सीएए के खिलाफ हैं या समर्थन में? उन हजारों विस्थापितों का क्या होगा, जो मुख्यमंत्री की धमकी के सामने बेबस नजर आते हैं। उनको प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से भरोसे के साथ आश्वासन मिलता है, उनके अंदर उम्मीद जगती है कि अब उनको वर्षों से लंबित नागरिकता मिलेगी। मुख्यमंत्री गहलोत यह जरूर बताएं कि पाकिस्तान के विस्थापितों को नागरिकता देंगे या नहीं?

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