–मजीठिया फाइटर अमित मिश्रा और राजेन्द्र गुप्ता की याचिका पर राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और डीआईपीआर से मांगा जवाब।
– नियम विरुद्ध तरीके से अधिस्वीकृत कार्ड बनाने वालों के शपथ पत्र और दस्तावेज कोर्ट में पेश किए।
जयपुर। पत्रकार अधिस्वीकरण नियमों को धत्ता बताते हुए गलत तरीके से अधिस्वीकृत पत्रकार कार्ड बनाने वालों की खैर नहीं है। नियमों के विपरीत बनाए जा रहे अधिस्वीकृत पत्रकार कार्ड के मामले में राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के प्रमुख शासन सचिव से जवाब मांगा है। न्यायाधीश इन्द्रजीत सिंह ने यह आदेश वरिष्ठ पत्रकार और मजीठिया केस मामले के फाइटर अमित मिश्रा और राजेन्द्र गुप्ता की याचिका पर ये आदेश दिए हैं। कोर्ट ने चार सप्ताह में सरकार से जवाब मांगा है।
अमित मिश्रा और राजेन्द्र गुप्ता के अधिवक्ता धर्मेन्द्र जैन ने याचिका में बताया कि पत्रकारिता में लंबे समय तक अनुभव रखने वाले पत्रकारों को पत्रकार अधिस्वीकरण कार्ड की सुविधा दी जाती है। जिसमें परिवहन, मेडिकल, आवास आवंटन समेत अन्य सुविधाएं प्राप्त होती है। राज्य सरकार ने पत्रकार अधिस्वीकरण नियम भी बना रखे हैं, लेकिन इन नियमों की पालना नहीं होती है। गलत और झूठे शपथ पत्र देकर अधिस्वीकरण कार्ड बनाए जा रहे हैं, जिसमें विभाग के अधिकारी भी लिप्त रहते हैं। याचिका के साथ सवा सौ से अधिक पत्रकारों के वे शपथ पत्र भी पेश किए गए, जो ना केवल आधे-अधूरे थे, बल्कि उनमें कई खामियां थी। स्वतंत्र पत्रकार के कार्ड में ज्यादा खामियां मिली।
इन खामियों की जानकारी विभाग के अफसरों को भी है, लेकिन मिलीभगत से फर्जी और गलत दस्तावेज के आधार पर कार्ड बनाए जा रहे हैं। याचिका में बताया कि फर्जी तरीके से बनाए जा रहे कार्डों से कई बेजा फायदा उठा रहे हैं। इससे लंबे समय तक पत्रकारिता कर रहे वास्तविक पत्रकारों को नुकसान झेलना पड़ रहा है। नियमों में आने के बाद भी इनके कार्ड बन नहीं पाते हैं। याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता धर्मेन्द्र जैन ने याचिका मेंं राज्य सरकार की ओर से तय किए गए नियमों के तहत ही पत्रकार अधिस्वीकरण कार्ड बनाए जाने और फर्जी दस्तावेज एवं शपथ पत्र देकर अधिस्वीकरण कार्ड बनाने वालों के खिलाफ कार्यवाही करने की गुहार की है।