जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि कोरोना संकट और लॉकडाउन से उत्पन्न विषम आर्थिक हालातों में अनुसूचित जाति एवं जनजाति वित्त निगम की ऋण वितरण योजना जैसे नवाचारों से कमजोर वर्गों के छोटे उद्यमियों को बड़ी राहत मिल सकती है। उन्होंने अधिकारियों निर्देश दिए कि छोटे-छोटे काम-धंधों के माध्यम से रोजगार के अवसर पैदा करने वाले अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों तक ऐसी योजनाओं का अधिकाधिक लाभ पहुंचाने के लिए विशेष प्रयास करें।
गहलोत शनिवार को मुख्यमंत्री निवास पर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश में जरूरतमंदों को सामाजिक सुरक्षा देने के लिए प्रतिबद्ध है। इस दौरान अधिकारियों ने बताया कि निगम ने इस वर्ष 50,000 लोगों को लाभान्वित करने का लक्ष्य रखा था। लेकिन वर्तमान परिस्थितियों में केवल 3,000 लोगों को ही छोटी-छोटी राशि के ऋणों का वितरण हो सका है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि खनन, निर्माण कार्यों, मूर्तिकला तथा अत्यधिक प्रदूषण वाले कारखानों में काम करने वाले मजदूरों के सिलिकोसिस बीमारी से ग्रसित होने पर गंभीर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि अधिकतर मामलों में मालिकों की लापरवाही और प्रदूषण नियंत्रण तथा मानकों की पालना नहीं करने के कारण मजदूरों को सिलिकोसिस होता है। थोड़ी-सी सावधानी से इस बीमारी से बचा जा सकता है। इसके लिए उन्होंने दूसरे राज्यों में खनन एवं कारखानों आदि में किये जा रहे उपायों का अध्ययन कर इस बीमारी को नियंत्रित करने की रणनीति बनाने के निर्देश दिए।
बैठक में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता की शासन सचिव गायत्री राठौड़ ने केन्द्रीय सहायता से संचालित पेंशन योजनाओं, राज्य सरकार द्वारा संचालित सामाजिक सुरक्षा योजनाओं, देवनारायण योजना, अति पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति एवं जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, बीपीएल आदि वर्ग के छात्र-छात्राओं के लिए छात्रावास एवं आवासीय विद्यालयों, छात्रवृत्ति, अनुप्रति, प्रोत्साहन राशि एवं स्कूटी वितरण योजनाओं पर प्रस्तुतीकरण दिया। उन्होंने विभाग द्वारा संचालित वृद्धावस्था कल्याण, बाल अधिकारिता, दिव्यांग कल्याण एवं भिखारियों के लिए पुर्नवास केन्द्रों के बारे में भी विस्तृत जानकारी साझा की।
गहलोत ने राज्य सरकार की विभिन्न समाजिक सुरक्षा पेेंशन योजनाओं का एकीकरण करने, सभी जिलों में वृद्ध कल्याण योजना के तहत वृद्धाश्रम संचालित करने, भिखारियों के पुर्नवास योजना के तहत भिक्षावृत्ति के कारणों का अध्ययन करने तथा विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों तक पहुंच बढ़ाने के लिए नावाचारों को अपनाने जैसे महत्वपूर्ण सुझाव दिए।
इस अवसर पर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री राजेन्द्र यादव, मुख्य सचिव राजीव स्वरूप, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के निदेशक ओपी बुनकर, बाल अधिकारिता आयुक्त महेशचंद्र शर्मा, अनुसूचित जाति एवं जनजाति वित्त निगम के प्रबंध निदेशक परमेश्वर लाल सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।