– उपेंद्र शर्मा
जयपुर. राज्य में 3 विधानसभा सीटों पर होने वाले उप चुनावों में सत्ता में कांग्रेस के होने के बावजूद उस से पहले भाजपा ने अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। भाजपा ने ना केवल आत्म विश्वास का प्रदर्शन किया है बल्कि उसने अपने तरकश में उप्लब्ध सर्वश्रेस्ठ मारक तीर निकाले हैं, जो उसे विजयश्री दिलाएंगे।
राजसमंद सीट से दिवंगत किरण माहेश्वरी की पुत्री दीप्ति माहेश्वरी को टिकट देने से ना केवल इस सीट पर परम्परागत वैश्य ब्राह्मण वर्ग के मतदाताओं का लाभ भाजपा को मिलेगा वहीं उनकी मां किरण माहेश्वरी के नहीं रहने का एक सॉफ़्ट कॉर्नर भी मतदाताओं के मन में है। क्षेत्र में गुर्जर और राजपूत मतदाता भी काफी है। गुर्जर वर्तमान समय में कांग्रेस के प्रति क्या भाव रखते हैं यह किसी से छिपा नहीं है। क्षेत्र से सांसद दिया कुमारी भी राजपूत हैं और भाजपा से ही है। वे भी दीप्ति के लिए प्रचार करेंगी तो महिला मतदाताओं को लुभाने में योगदान देंगी।
सहाड़ा (भीलवाड़ा) सीट कांग्रेस के 3 बार के विधायाक कैलाश चंद्र त्रिवेदी के निधन से खाली हुई थी। यहां से भाजपा ने अनुभवी राजनेता रतनलाल जाट को टिकट दिया गया है। जाट 2 बार विधायक, एक बार जिला प्रमुख और एक बार राज्य बीज निगम के अध्यक्ष रहे हैं। वे सुखाड़िया विवि (उदयपुर) में प्रोफेसर भी रहे हैं। क्षेत्र में एक सुलझे हुये राजनेता माने जाते हैं। सहाड़ा में जाट मतदाता सर्वाधिक हैं, ऐसे में उनसे बेहतर और कोई उम्मीदवार भाजपा के पास था भी नहीं और भाजपा ने बिना कोई चूक किए उन्हें टिकट दे दिया है। जाट बड़ी संख्या में क्षेत्रीय मतदाताओं को नाम से जानते हैं, यह नेट्वर्क उनके बहुत काम आने वाला है।
सुजानगढ़ (चुरू) में कांग्रेस के दिग्गज दलित नेता भंवरलाल मेघवाल के निधन के बाद हो रहे उप चुनावों में भाजपा ने पूर्व खान राज्य मंत्री खेमाराम मेघवाल को टिकट दिया है। मेघवाल को इस सीट से भाजपा ने लगातार 5 वीं बार टिकट दिया है। यह अपने आप में पार्टी में उनकी विश्वसनीयता को दर्शाता है। वे 2003 और 2013 में जीते और 2008 और 2018 में हारे थे। खेमाराम के अलावा क्षेत्र से और कोई बड़ा भाजपा नेता है भी नहीं। उनके पास बेहतरीन नेट्वर्क और कार्यकर्ताओं की टीम है।
अब चूंकि अभी कांग्रेस ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है, इसलिये मुकाबले कैसे रहेंगे यह कहा नहीं जा सकता, लेकिन जो टिकट भाजपा ने दिए हैं उनसे बेहतर और कोई टिकट नहीं हो सकते थे।
तीनों ही टिकटों पर प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया की छाप स्पष्ट रूप से दिख रही है। अगर यह तीनों जीत गए तो निस्संदेह पार्टी में उनका कद और वजन दोनों में जबरदस्त वृद्धि होगी। आगे उनका मुकाबला करना पार्टी में किसी के लिए सम्भव नहीं होगा। फिलहाल भाजपा और पूनिया दोनों ने ही कांग्रेस से पहले टिकट घोषित कर मनोवैज्ञानिक बढ़त तो हासिल कर ही ली है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार है)