जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि आमजन को त्वरित न्याय, अपराधियों में भय और बेहतर कानून व्यवस्था के लिए राज्य सरकार पुलिस के सुदृढ़ीकरण एवं आधुनिकीकरण के लिए पूरी प्रतिबद्धता के साथ काम कर रही है। विगत ढाई वर्ष में अनिवार्य एफआईआर पंजीयन, थानों में स्वागत कक्ष, महिला अपराध पर लगाम के लिए स्पेशल इनवेस्टीगेशन यूनिट सहित कई महत्वपूर्ण नीतिगत फैसले लेने के साथ ही पुलिस को आधुनिक संसाधन उपलब्ध कराए गए हैं। उन्होंने कहा है कि पुलिस इस भावना के साथ काम करे कि हर हाल में पीड़ित पक्ष को न्याय मिले।
गहलोत बुधवार को मुख्यमंत्री निवास से वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से करीब 34 करोड़ रूपए की लागत से तैयार 15 पुलिस थानों के नवीन भवन के लोकार्पण तथा नवसृजित 9 पुलिस थानों के शुभारम्भ समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने जयपुर, झुंझुनूं, टोंक, हनुमानगढ़, पाली, चित्तौड़गढ़ और राजसमन्द में एक-एक, उदयपुर में 2 और भीलवाड़ा एवं नागौर में 3-3 पुलिस थानों के नए भवन का लोकार्पण किया तथा जयपुर पूर्व और डूंगरपुर में 2-2, चूरू, हनुमानगढ़, उदयपुर, अलवर और चित्तौड़गढ़ में एक-एक नए थाने का शुभारंभ किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार का प्रयास है कि क्षेत्रफल को देखते हुए प्रदेश में पुलिस थानों की संख्या में चरणबद्ध रूप से बढ़ोतरी हो। इस दिशा में प्राथमिकता के आधार पर नए थाने स्थापित करने के साथ ही पुलिस चौकियों को भी थानों में क्रमोन्नत किया जा रहा है, ताकि लोगों को परिवाद दर्ज कराने के लिए दूर नहीं जाना पड़े। पुलिस थानों को भवन और बेहतर संसाधन एवं सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए भी सकारात्मक सोच के साथ काम किया जा रहा है।
गहलोत ने कहा कि राजस्थान ऎसा पहला राज्य है, जिसने अनिवार्य एफआईआर रजिस्ट्रेशन की नीति लागू की। इससे न्यायालयों में इस्तगासों में कमी आई है। बलात्कार के प्रकरणों में वर्ष 2017-18 में करीब 33 प्रतिशत महिलाओं को एफआईआर के लिए कोर्ट जाना पड़ता था। अब यह आंकड़ा घटकर 16 प्रतिशत रह गया है। वर्ष 2019 में महिला अत्याचारों के 34 प्रतिशत प्रकरण पूरे देश में लंबित थे, जबकि राजस्थान में महिला अत्याचारों के प्रकरणों का प्राथमिकता से निस्तारण करने के कारण वर्ष के अंत तक मात्र 9 प्रतिशत प्रकरण लंबित थे। देश के दूसरे कई राज्यों में कम पंजीकरण के बावजूद राजस्थान से ज्यादा प्रकरण लंबित थे। उन्होंने कहा कि महिला दुराचार के प्रकरणों की जांच में लगने वाला औसत समय भी प्रदेश में 287 दिनों से घटकर 140 दिन रह गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य और जिला स्तर पर गंभीर एवं जघन्य अपराधों के अनुसंधान के लिए हीनियस क्राइम मॉनिटरिंग यूनिट स्थापित की गई है। नई सोच के साथ पुलिस थानों के प्रशासनिक भवनों का क्षेत्रफल बढ़ाया जा रहा है। साथ ही, थानों में सीसीटीएनएस कक्ष, साइबर कक्ष, पुलिस अनुसंधान कक्ष, महिला बैरक, रेस्ट रूम, स्वागत कक्ष आदि का निर्माण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि थानों में बड़ी संख्या में झूठे प्रकरण दर्ज होने की बात सामने आती है। वर्ष 2019 की रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान में कुल निस्तारित केसों में से करीब 45 प्रतिशत मामले झूठे (अदम वकू) पाए गए, जबकि राष्ट्रीय औसत 16 प्रतिशत है। पुलिस प्रोफेशनलिज्म के साथ काम करते हुए झूठे मामले दर्ज करवाने की प्रवृत्ति को हतोत्साहित करे और पीड़ित को न्याय दिलाना सुनिश्चित करे।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर नवनिर्मित पुलिस थानों-हनुमानगढ़ सदर, जहाजपुर (भीलवाड़ा) तथा महिला पुलिस थाना (नागौर) में उपस्थित जनप्रतिनिधियों, पुलिस अधिकारियों-कार्मिकों, ग्राम रक्षक, सुरक्षा सखी, सीएलजी मेंबर आदि से संवाद भी किया। उन्होंने कहा कि ग्राम रक्षक, सुरक्षा सखी एवं सीएलजी सदस्य पुलिस एवं पब्लिक के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करने में अपनी भूमिका निभाएं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने आमजन की उचित माहौल में सुनवाई के लिए थानों में स्वागत कक्ष के निर्माण का नवाचार किया है। पुलिस अधिकारी एवं कार्मिक राज्य सरकार की मंशा के अनुरूप इन स्वागत कक्षों में फरियादियों की प्रभावी सुनवाई सुनिश्चित करें।
मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने कहा कि वाहनों एवं अन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए पुलिस को आवश्यक वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराए गए हैं। इसका पुलिस की कार्यशैली पर सकारात्मक असर भी देखने को मिला है।

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