जयपुर। तमाम प्रयासों के बावजूद राजस्थान में सरकार और बिजली कंपनियां बिजली चोरी पर अकुंश नहीं लगा पा रही है। बिजली चोरी नहीं रुकने के चलते कंपनियों का घाटा लगातार बढ़ रहा है, वहीं इससे बिजली आपूर्ति भी गड़बड़ा रही है। राजस्थान की बिजली कंपनियां एक लाख करोड़ रुपए के घाटे में है। बिजली कंपनियों के मुताबिक पचास फीसदी से अधिक बिजली चोरी हो रही है प्रदेश भर में। बिजली यूनिटस की जांच करवाई गई तो सामने आया कि इसमें करीब 54 प्रतिशत बिजली चोरी करती पाई गई। बिजली चोरी पर अकुंश लगाने और घाटे से पार लगाने के लिए कंपनियों ने अब नई पहल की है। वह कह रही है कि बिजली चोरी रुकवाने वाले गांव को चौबीस घंटे बिजली दी जाएगी। इसके लिए वे गांव के सरपंच और ग्राम पंचायत पार्षदों व प्रशासन का सहारा ले रही है। उदय योजना के तहत राजस्थान सरकार को बिजली कंपनियों का एक लाख करोड़ का कर्जा में से करीब 60 हजार करोड रूपए का कर्जा अपने ऊपर लेना पडा है। घाटे के बावजूद ये कम्पनियां बिजली चोरी रोकने मे नाकाम साबित हो रही है। राजस्थन की तीनों सरकारी बिजली वितरण कम्पनियों के अधिकृत आंकडों के मुताबिक, गत वर्ष तीनों कम्पनियों की विजिलेंस शाखा ने 3.09 लाख यूनिटों की जांच की। इसमें से 1.67 लाख से ऊपर चोरी के मामले निकले। 2015 में भी यूनिटस जांच में से 51 प्रतिशत चोरी की पाई गई। केन्द्रीय उर्जा मंत्रालय भी मान रहा है कि राजस्थान, उदय योजना के तहत बिजली की छीजत के निर्धारित लक्ष्य प्राप्त नहीं कर पाया है। हालांकि बिजली चोरी रोकने के लिए कंपनियों की तरफ से हर
फ ीडर पर एक फ ीडर इंजार्च नियुक्त करने का प्रावधान भी है, जो बिजली चोरी या छीजत के मामलों की नियमित जानकारी अफसरों को देगा। बिजली वितरण कम्पनियों की मौजूदा छीजत 27 प्रतिशत तक है। इसे 27 प्रतिशत तक लाने का प्रयास किया जा रहा है। बिजली छीजत रोकने के लिए कम्पनियों ने ग्राम पंचायत सरपंचों का सहयोग लेने की योजना बनाई है। सरपंचों से कहा है कि यदि वे अपने गांव में बिजली चोरी रोकते हैं तो उनके गांव में 24 घंटे बिजली दी जाएगी। ुउदाहरण के तौर पर कंपनियां, अजमेर जिले के बिठूर गांव का हवाला दे रहा हैं। गांव की महिलाओं को उर्जा मित्र बना कर बिजली चोरी रोकने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी और इसके नतीजे काफ ी अच्छे आए। अब इस गांव में बिजली छीजत 47 से घट कर 21 प्रतिशत रह गई है। इस मॉडल को ही अब पूरे प्रदेश में लागू करने की योजना है। महिलाओं की जगह इसमें सरपंचों को शामिल किया जा रहा है। इस योजना को आने वाले बजट में घोषित किए जाने की तैयारी की जा रही है।

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