Delhi. आयकर विभाग ने टैक्सटाइल और फिलामेंट यार्न के विनिर्माण व्यापार में लगे प्रमुख उद्योग घराने के दिल्ली, पंजाब और कोलकाता स्थित कॉर्पोरेट कार्यालयों में तलाशी लेने और जब्त करने का अभियान चलाया। तलाशी अभियान के दौरान, अनेक आपत्तिजनक दस्तावेज, लूज शीट्स, डायरियां और डिजिटल साक्ष्यों का पता चला है, जो इस समूह की अपनी भारतीय कंपनियों में बेहिसाबी धन को वापस भेजने में संलिप्त होने का संकेत देते हैं। इसके अलावा विभाग को जानकारी दिए बगैर विदेशी बैंक खाते होने का भी पता चला है। बहीखातों में प्रविष्टि हुए बगैर लेन-देन होने, जमीन के सौदों में नकदी लेन-देन, बहीखातों में दर्ज किए गए फर्जी खर्च, बेहिसाब नकदी व्यय, एंट्री ऑपरेटरों से आवास एंट्रीज के बारे में बड़े सबूतों को एकत्र किया गया है।
इस समूह ने अपने विदेशी बैंक खातों में लगभग 350 करोड़ रुपए का बेहिसाब धन जमा कर रखा है और टैक्स आश्रयों (हेवन) में फर्जी कंपनियों के माध्यम से इस धन को अपने व्यवसाय में वापस भेज दिया है। यह पता चला है कि इनकी कार्यप्रणाली कंपनी द्वारा मुख्य रूप से जारी किए गए विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बॉन्ड में समूह के नियंत्रण में विदेशी कंपनियों द्वारा निवेश करने से संबंधित थी, जिन्हें बाद में भुगतान में चूक का बहाना लेकर इसी कंपनी के शेयरों में परिवर्तित कर दिया गया था। यह भी पाया गया है कि इस बेहिसाब धन के प्रबंधन के लिए विदशी कंपनियों और ट्रस्टों को प्रबंधन शुल्क का भी भुगतान किया गया है। हालांकि आयकर रिटर्न की अनुसूची एफए में कंपनियों और बैंक खातों के रूप में स्वामित्व/प्रबंध वाली विदेशी संपत्तियों का खुलासा करने की निर्दिष्ट आवश्यकता है, लेकिन इस समूह ने आयकर विभाग के समक्ष इसका खुलासा नहीं किया है।
अस्पष्ट व्यक्तिगत नकदी खर्च से संबंधित खातों का कंपनी के मुख्य कार्यालयों में से एक में सावधानीपूर्वक रखरखाव करते हुए पाया गया। इस बारे में सबूत एकत्रित किए गए कि करीब सौ करोड़ रुपये की नकदी कंपनी के खातों में फर्जी व्यय और जमीन के सौदों में नकदी लेनदेन द्वारा ऋण खातों में डालकर जुटाई गई है। तलाशी अभियान और आगे की जांच जारी है।