जयपुर। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि दिल्ली उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद केन्द्र सरकार द्वारा दिल के मरीजों के लिए स्टेंट की कीमतों में कमी किये जाने के फैसले के बावजूद पीडित मरीजों को निजी क्षेत्र के अस्पतालों में लाभ नहीं मिलना राज्य सरकार की विफलता ही माना जायेगा। गहलोत ने आज यहां एक बयान में कहा कि स्टेंट की कीमतें घटाये जाने के बाद दिल के मरीजों के ईलाज में 50 प्रतिशत से अधिक खर्च कम होने की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र का अपना महत्व है, इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती, लेकिन मेरा मानना है कि देश में आबादी के साथ बढ़ती मरीजों की संख्या को देखते हुए स्वास्थ्य के साथ शिक्षा के प्रबन्धन में केवल धनोपार्जन के लिए संस्थाओं को आगे नहीं आना चाहिए बल्कि जनकल्याण को ध्यान में रखकर इन क्षेत्रों में कदम रखना चाहिए।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने निःशुल्क दवा एवं जांच योजना लागू की थी, जिसकी राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सराहना की गई थी, लेकिन वर्तमान सरकार ने बिना समीक्षा किये आनन-फानन में इस योजना के प्रभाव को कम कर दिया। गहलोत ने राज्य सरकार की स्वास्थ्य बीमा योजना को लेकर कहा कि इस योजना को लागू हुए एक साल से ज्यादा हो चुका है, लेकिन इस योजना में भ्रष्टाचार की अत्यधिक गुंजाइश को देखते हुए उन्होंने सुझाव दिया है कि एक तरफ इसकी आडिट करवायें और साथ ही हर जिला एवं उपखण्ड स्तर पर राज्य सरकार को सक्षम अधिकारी को अधिकृत करना चाहिए ताकि सरकारी एवं गैर सरकारी क्षेत्र में गम्भीर शिकायतें सामने आने पर तत्काल कार्यवाही की जा सके।