– मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि सचिन पायलट और वे टिकट के सभी फैसलों में शामिल हैं।
जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि विधानसभा चुनाव के लिए वे और सचिन पायलट टिकट चयन के सभी फैसलों में शामिल हैं। हम सारे मतभेद भुला चुके हैं। पायलट के साथ जो लोग मानेसर (बगावत के वक्त 2020 में) गए थे, उनके सारे टिकट क्लीयर हो रहे हैं, मैंने एक भी सीट को लेकर ऑब्जेक्शन नहीं किया है। उन्होंने एक सवाल के जवाब में दोहराया कि कांग्रेस में कभी मुख्यमंत्री का उम्मीदवार नहीं बनना चाहिए। जो उम्मीदवार बनता है, वो कभी सीएम नहीं बनता है। मैं जब सीएम बना तो उस समय मैं उम्मीदवार नहीं था। मुझे सोनिया गांधी ने चुना। मैं पहले भी कह चुका हूं कि सीएम पद छोड़ना चाहता हूं, लेकिन यह पद मुझे नहीं छोड़ रहा और यह छोड़ेगा भी नहीं। कुछ तो कारण होंगे कि हाईकमान और गांधी परिवार मुझ पर इतना विश्वास जता रहे हैं। वसुंधरा राजे के समर्थक विधायकों और नेताओं के टिकट कटने के सवाल पर गहलोत ने कहा कि वसुंधरा को मेरे कारण सजा नहीं मिलनी चाहिए, यह उनके साथ अन्याय होगा। मेरी कुछ बातों को फ्लेवर लगाकर पेश किया गया था। 2020 में जब मेरी सरकार पर संकट था तो कैलाश मेघवाल ने बयान दिया कि राजस्थान में इस तरह सरकार गिराने की परंपरा नहीं रही है। गहलोत ने कहा कि जब भैरोंसिंह शेखावत मुख्यमंत्री थे और वो इलाज के लिए अमेरिका गए थे तो पीछे से उनके कुछ नेता सरकार गिराना चाहते थे। मेरे पास कुछ नेता आए कि सरकार गिराने में सहयोग कीजिए। मैंने साफ मना कर दिया। उस समय प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव और राज्यपाल बलिराम भगत थे। मैंने उन्हें भी कहा था कि सरकार गिराने में सहयोग करना उचित नहीं होगा। कैलाश मेघवाल को इस बात की जानकारी थी। जब सियासी संकट आया तो उन्होंने कह दिया कि हमारे यहां इस प्रकार सरकार गिराने की परंपरा कभी नहीं रही। मुझे भाजपा के मेरे मित्रों से ही पता चला कि वसुंधरा राजे का भी यही मानना था। कुछ महीनों पहले धौलपुर में गलती से मेरे मुंह से निकल गया कि मेरी सरकार जब संकट में थी तो वसुंधरा राजे की भावना वही थी, जो भैरोंसिंह शेखावत की सरकार के वक्त मेरी थी। इसे फ्लेवर लगाकर पेश किया गया।
– जो उम्मीदवार बनता है, वो कभी मुख्यमंत्री नहीं बनता है।
-राजस्थान में फिर से कांग्रेस सरकार बनने की स्थिति में क्या वापस गहलोत मुख्यमंत्री होंगे? इस सवाल पर गहलोत ने कहा कि कांग्रेस में कभी मुख्यमंत्री का उम्मीदवार नहीं बनना चाहिए। जो उम्मीदवार बनता है, वो कभी मुख्यमंत्री नहीं बनता है।’मैं जब मुख्यमंत्री बना तो उस समय मैं उम्मीदवार नहीं था। मुझे सोनिया गांधी ने चुना। मैं पहले भी कह चुका हूं कि मुख्यमंत्री पद छोड़ना चाहता हूं, लेकिन यह पद मुझे नहीं छोड़ रहा और यह छोड़ेगा भी नहीं। कुछ तो कारण होंगे कि हाईकमान और गांधी परिवार मुझ पर इतना विश्वास जता रहे हैं। वसुंधरा राजे के समर्थक विधायकों और नेताओं के टिकट कटने के सवाल पर CM गहलोत ने कहा- वसुंधरा को मेरे कारण सजा नहीं मिलनी चाहिए, यह उनके साथ अन्याय होगा। मेरी कुछ बातों को फ्लेवर लगाकर पेश किया गया था। दरअसल, 2020 में जब मेरी सरकार पर संकट था तो कैलाश मेघवाल ने बयान दिया कि राजस्थान में इस तरह सरकार गिराने की परंपरा नहीं रही है। गहलोत ने कहा कि जब भैरोंसिंह शेखावत मुख्यमंत्री थे और वो इलाज के लिए अमेरिका गए थे तो पीछे से उनके कुछ नेता सरकार गिराना चाहते थे। मेरे पास कुछ नेता आए कि सरकार गिराने में सहयोग कीजिए। मैंने साफ मना कर दिया। उस समय प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव और राज्यपाल बलिराम भगत थे। मैंने उन्हें भी कहा था कि सरकार गिराने में सहयोग करना उचित नहीं होगा। गहलोत ने कहा- कैलाश मेघवाल को इस बात की जानकारी थी। जब सियासी संकट आया तो उन्होंने कह दिया कि हमारे यहां इस प्रकार सरकार गिराने की परंपरा कभी नहीं रही। मुझे भाजपा के मेरे मित्रों से ही पता चला कि वसुंधरा राजे का भी यही मानना था। कुछ महीनों पहले धौलपुर में गलती से मेरे मुंह से निकल गया कि मेरी सरकार जब संकट में थी तो वसुंधरा राजे की भावना वही थी, जो भैरोंसिंह शेखावत की सरकार के वक्त मेरी थी। इसे फ्लेवर लगाकर पेश किया गया।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत केंद्रीय एजेंसियों पर भी जमकर बरसे। गहलोत ने आरोप लगाया कि सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स (CBDT) के चेयरमैन ने टाइम देने के बाद मिलने से इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा- ‘जैसे ही मैंने मीडिया को बताया कि मैं CBDT चेयरमैन से मिलने जा रहा हूं, वहां से कॉल आ गया कि आप अभी मत आओ, हम बाद में खुद आकर आपसे मिल लेंगे।
गहलोत ने कहा कि आचार संहिता लगने के बावजूद ED, इनकम टैक्स विपक्ष के नेताओं पर छापे डाल रही है। इसका मतलब आप एक पार्टी को फायदा पहुंचा रहे हो। अब ED राजनेताओं के यहां घुसने लग गई है, पहले जांच होती थी और उसके बाद अगर कोई मामला बनता था तो ED जांच करती थी। अब तो सीधे नेताओं के यहां ED के छापे पड़ रहे हैं, इसलिए मैं CBDT चेयरमैन से मिलना चाह रहा था।
– अफसरों का दायित्व देश के प्रति होना चाहिए
गहलोत ने कहा कि विपक्षी पार्टियों के नेताओं पर जिस तरह ED के छापे पड़ रहे हैं, वह राजनीतिक तौर से निशाना बनाए जाने के लिए किया जा रहा है। उन्होंने कहा- UPA सरकार में ED के 912 छापे पड़े, इनमें 93 प्रतिशत मामलों में चार्जशीट दायर की गई, जबकि मोदी सरकार में 3010 छापे पड़े, इसमें से 888 यानी लगभग 29% मामलों में ही चार्जशीट दायर की गई है। मैं सीबीआई, ईडी और इनकम टैक्स के अधिकारियों से कहना चाहता हूं कि वह एजेंसियों की गरिमा बनाए रखें। इनके प्रमुखों का दायित्व देश के प्रति होना चाहिए,  गहलोत ने कहा आज साहित्यकारों, पत्रकारों को जेल में डाला जा रहा है। इनकी करतूतों को देश देख रहा है। देश बेबस है। मणिपुर में क्या हो रहा है, इतनी बड़ी घटनाएं हो जाएं और कोई कार्रवाई न हो।  गहलोत ने कहा, मोदी जब बोलते हैं तो पूरा देश उनको सुनता है। अच्छा बोलते हैं। भोपाल में वे NCP के खिलाफ बोले थे कि वह भ्रष्ट है। दो दिन बाद ही महाराष्ट्र में NCP के साथ सरकार बना ली। अजीत पवार पर जितने आरोप लगाए थे, उनको डिप्टी CM बना दिया और उनको वित्त विभाग दे दिया। आप सोच सकते हैं, उनको वित्त विभाग देने के क्या मायने हैं? आप पर कितने ही आरोप लगे हैं, आप BJP जॉइन कर लेते हैं तो वॉशिंग मशीन में धुल जाते हैं।

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