– यमुना जल समझौते को लेकर कांग्रेस और बीजेपी ने एक दूसरे पर जमकर आरोप लगाए
जयपुर। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा ने भारतीय जनता पार्टी सरकार, मुख्यमंत्री एवं केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री पर पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) जल समझौते को लेकर प्रदेश की जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि यमुना जल समझौता 1994 में किया गया था तथा अपर यमुना जल बोर्ड में पांच राज्य आते हैं, हिमाचल, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और राजस्थान। इसमें यह फैसला हुआ था कि शेखावाटी को 1917 क्यूसेक पानी मिलेगा। एक समझौता 2001-2002 में भी हुआ जिसमें हरियाणा से यह तय हुआ कि किस स्थान से पानी मिलेगा। उस समय हरियाणा का दावा 13 हजार क्यूसेक पर था, उसके अतिरिक्त पानी लेने के लिए आधारभूत ढांचा तैयार किया जाना था, किन्तु हरियाणा ने उसकी एनओसी राजस्थान को नहीं दी। हरियाणा ने बाद में अपनी डिमाण्ड बढ़ाकर 18 हजार कर ली और अभी जो कथित समझौता होना बताया जा रहा है उसमें राजस्थान की भाजपा सरकार ने हरियाणा के समक्ष आत्म समर्पण कर दिया तथा समझौते पर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर कह रहे हैं कि 24 हजार क्यूसेक पानी पहले हरियाणा लेगा उसके पश्चात् बरसात के दिनों में 15-20 दिन अगर कोई अतिरिक्त पानी हुआ तो राजस्थान को देंगे, किन्तु उस अतिरिक्त पानी में से भी 25 प्रतिशत पानी पहले हरियाणा लेगा। डोटासरा गुरुवार को प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय पर पत्रकारों को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि राजस्थान की सरकार ने आज तक देश व प्रदेश की जनता अथवा मीडिया के सामने ईआरसीपी के एमओयू की शर्तों वाली प्रति प्रस्तुत नहीं की, ना विधानसभा में, ना जनप्रतिनिधियों को जानकारी प्रदान की गई है। उन्होंने कहा कि अब हरियाणा सरकार राजस्थान की भाजपा सरकार ने क्या समझौता किया है, कितने पानी का समझौता किया है, उसका खुलासा भी राजस्थान की भाजपा सरकार ने नहीं किया। जबकि वास्तविकता यह है कि पानी का समझौता तो वर्तमान राजस्थान सरकार को करने का अधिकार ही नहीं है, क्योंकि किसे कितना पानी मिलेगा, यह समझौता पूर्व में हो चुका है, वर्तमान में तो केवल पानी लाने के लिए पाईप लाईन बिछाने का एमओयू ही होना था। उन्होंने कहा कि पहले ईआरसीपी के नाम पर धोखा किया गया, जहां इस योजना के तहत् 3510 एमसीएम पानी मिलना था, किन्तु 2400 एमसीएम पानी लेने का समझौता राजस्थान की जनता के हितों का सौदा भाजपा सरकार ने किया। उन्होंने कहा कि आज राजस्थान की भाजपा सरकार ने हरियाणा की सरकार के सामने घुटने टेेक दिये, केवल इसलिये कि पाईप लाईन बिछाना की अनुमति मिलेगी अथवा नहीं। प्रेसवार्ता को सम्बोधित करते हुये राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता यशवर्धन सिंह ने कहा कि 1994 में जब केन्द्र में प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार थी तब हिमाचल, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश व राजस्थान में यमुना जल बंटवारे का समझौता हुआ था। राजस्थान के भरतपुर क्षेत्र को ओखला से पानी मिलना था तथा चूरू, झुन्झुन, सीकर को हथनी कुण्ड बैराज से पानी मिलना तय हुआ था और इस समझौते को लागू कराने हेतु अपर यमुना रीवर बोर्ड का गठन हुआ था। उन्होंने कहा कि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर यमुना के पानी पर मालिकाना हक जता रहे हैं जबकि हरियाणा को मिलने वाला हिस्सा पहले से तय है। नीमकाथाना विधायक सुरेश मोदी ने कहा कि भाजपा की प्रदेश सरकार जल के मुद्दे पर समझौते कर रही है उसका खुलासा आम जनता के समक्ष ईमानदारी से होना चाहिये। उन्होंने कहा कि नीमकाथाना क्षेत्र में पानी की भारी समस्या है, सिंचाई तो दूर की बात है, पीने के पानी की उपलब्धता नहीं है।
– हमने पिछले पांच साल खर्ची की सरकार भी देखी है खर्चा दो, काम करवाओ:घनश्याम तिवाड़ी
यमुना जल समझौते को लेकर आज कांग्रेस और बीजेपी ने एक दूसरे पर जमकर आरोप लगाए। पीसीसी अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा इस पर्ची की सरकार ने पहले ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट और अब यमुना जल समझौते के नाम पर जनता को भ्रमित करने का काम किया है। उन्होंने कहा यमुना जल समझौते को लेकर पर्ची सरकार ने हरियाणा सरकार के सामने घुटने टेक दिए। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर विधानसभा में कह रहे हैं कि हरियाणा को 24 हजार क्यूसेक पानी मिलेगा। इस तरह से तो राजस्थान को एक लीटर पानी भी नहीं मिलने वाला है। डोटासरा के बयान पर पलटवार करते हुए राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवाड़ी ने कहा- हमने पिछले पांच साल खर्ची की सरकार भी देखी है। खर्चा दो, काम करवाओ। उन्होंने कहा कि जो समझौता पिछले 30 साल से नहीं हो पा रहा था। उसे भजनलाल सरकार ने आते ही पूरा कर दिया। इस समझौते से राजस्थान को 1917 क्यूसेक पानी मिलेगा। पीसीसी में प्रेस वार्ता कर डोटासरा ने कहा कि राजस्थान सरकार ने हरियाणा से पानी का नहीं, बल्कि पाइपलाइन बिछाने और इन्फ्रास्ट्रक्चर का समझौता किया है। उसके बदले हरियाणा ने 24 हजार क्यूसेक पानी पर अपना दावा कर दिया है। जबकि 2002 के समझौते के अनुसार हरियाणा को 13 हजार क्यूसेक पानी ही मिलना था। डोटासरा ने कहा यमुना जल समझौता 1994 में किया गया था। इसमें यह फैसला हुआ था कि शेखावाटी को 1917 क्यूसेक पानी मिलेगा। एक समझौता 2001-2002 में भी हुआ। इसमें हरियाणा से यह तय हुआ कि किस स्थान से पानी मिलेगा। उस समय हरियाणा का दावा 13 हजार क्यूसेक पर था। उसके अतिरिक्त पानी लेने के लिए आधारभूत ढांचा तैयार किया जाना था, लेकिन हरियाणा ने उसकी एनओसी राजस्थान को नहीं दी। अभी जो कथित समझौता होना बताया जा रहा है, उसमें राजस्थान की भाजपा सरकार ने हरियाणा के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। समझौते पर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर कह रहे हैं कि 24 हजार क्यूसेक पानी पहले हरियाणा लेगा। उसके बाद बरसात के दिनों में 15-20 दिन अगर कोई अतिरिक्त पानी हुआ तो राजस्थान को देंगे। उस अतिरिक्त पानी में से भी 25 प्रतिशत पानी पहले हरियाणा लेगा। डोटासरा के बयान पर सांसद घनश्याम तिवाड़ी ने कहा राजस्थान को यमुना जल समझौते से 1917 क्यूसेक पानी मिलना तय है। यह मोदी की गारंटी है। यह भी तय है कि मोदी की गारंटी है तो पूरा होने की भी गारंटी है। राजस्थान की डबल इंजन सरकार यमुना जल समझौते पर 4 माह में डीपीआर बनाने के साथ ही अपने इस कार्यकाल में चूरू, झुंझुनूं, सीकर और नीमकाथाना जिले में पानी पहुंचाने का काम करेगी। उन्होंने कहा कांग्रेस पार्टी के कुकर्मों के चलते हथिनी कुंड बैराज पर 30 साल तक कोई समझौता नहीं हो पाया। आज भी कांग्रेस पार्टी ने राजस्थान की जनता से धोखा किया है। एक ओर हरियाणा विधानसभा में कांग्रेस पार्टी ने आवाज उठाई कि खट्टर सरकार ने हरियाणा के हितों को राजस्थान को बेच दिया। कांग्रेस पार्टी ने हरियाणा विधानसभा में 2 बार वॉकआउट किया। राजस्थान को मिलने वाले पानी का विरोध किया। वहीं, दूसरी ओर गोविंद सिंह डोटासरा स्टेटमेंट दे रहे हैं कि यमुना समझौता हुआ ही नहीं। यह कांग्रेस का दोहरा चरित्र है।

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