जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट में चमत्कारिक दवाईयों और अश्लील विज्ञापनों की एक याचिका पर आज सोमवार को सुनवाई के दौरान राजस्थान के बड़े अखबार दैनिक भास्कर और राजस्थान पत्रिका को कोर्ट आदेशों की पालना नहीं करने पर फटकार लगाई, साथ ही मौखिक तौर पर कहा भी कि वे हाईकोर्ट के आदेशों की सख्ती से पालना करें। कोर्ट ने मौखिक तौर पर यह भी कहा कि अखबार खुद को सरकार से बड़े समझने लगे हैं। वे मनमानी पर उतर आए हैं। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के.एस.झवेरी और गोवर्धन बाढ़दार ने चमत्कारिक दवाईयों के नाम पर भ्रमित करने वाले विज्ञापनों की याचिका में दैनिक भास्कर का जवाब नहीं आने और पत्रिका के जवाब से संतुष्ठ नहीं होने पर कोर्ट ने मौखिक तौर पर यह कहा। याचिकाकर्ता किशोर वर्मा ने याचिका में बताया कि ड्रग्स एण्ड मेडिकल एक्ट के तहत चमत्कारिक दवाईयों के विज्ञापन और प्रचार-प्रसार पर रोक है। सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट ने दो-तीन बार स्पष्ट आदेश दे रखे हैं कि एक्ट का उल्लंघन नहीं होना चाहिए। इसके बावजूद एक्ट की धज्जियां उडाई जा रही है। अखबारों में भ्रमित करने वाले ऐसे चमत्कारिक दवाईयों, यंत्रों की भरमार रहती है। ऐसे विज्ञापन देने वाले अखबार वालों के खिलाफ कार्रवाई के लिए पुलिस महानिरीक्षक की अध्यक्षता में एक कमेटी भी है। कमेटी भी रिपोर्ट में कह चुकी है कि कोर्ट आदेश की पालना नहीं हो रही है। भास्कर तो जवाब भी नहीं दे रहा है। पत्रिका एक्ट की पालना की कह रही है। हालांकि याचिकाकर्ता ने भास्कर, पत्रिका समेत अन्य अखबारों में छपे विज्ञापनों की प्रतियां पेश करके कोर्ट को अवगत कराया कि किस तरह से अखवार एक्ट की धज्जियां उड़ा रहे हैं। कोर्ट ने अखबार प्रबंधन से मामल में जवाब मांगा है।