जयपुर। फिल्म निर्माता अनुराग कश्यप ने राजपूत समाज के लोगों के साथ हुई अपनी मुलाकातों के अनुभवों को यहां जयपुर साहित्य उत्सव में साझा किया। उत्सव के एक सत्र के दौरान कश्यप ने कहा कि वर्ष 2001 में ‘गुलाल’ फिल्म लिखी गई थी और वह राजस्थान आये थे। उस दौरान उन्होंने कई पूर्व राजघरानों के सदस्यों से मुलाकात की थी।
उन्होंने कहा कि हम लोगों ने अपनी यात्रा के दौरान कई लोगों से मुलाकात की। वह समय बिल्कुल अलग था। मुझे इतिहास के बारे में जानकारी मिली। मैं एक एक राजपरिवार के सदस्य से मिला जो कुछ नया करना चाहता था।
कश्यप ने कहा कि उन्हें कइयों ने रूठी रानी की कहानी सुनाई और उन्हें अपना पूर्वज बताया। यदि गौरव के साथ कोई कहानी होती है तो सभी पूर्वज बन जाते हैं। उन्होंने कहा वह कई अन्य लोगों से भी मिले थे। गुलाल की कहानी को यहीं एक नया रूप मिला।
एक दर्शक के सवाल पर उन्होंने कहा कि वह अपनी फिल्म में गाली का प्रयोग जानबूझ कर नहीं करते हैं, बल्कि वह एक स्वाभाविक रूप से आता है। उन्होंने कहा कि हम ऐसे हो गये हैं कि रोजमर्रा के जीवन में वह सब देख और सुन सकते हैं लेकिन फिल्मों में अगर यह दिखा दिया जाये तो लगता है कि सारे समाज का भार फिल्मों के ऊपर ही है।उन्होंने कहा कि देश में बहुत कुछ हो रहा होगा, लेकिन यदि सिनेमा में दिखा दिया जाये तो ऐसा लगता है कि मानो समाज बर्बाद हो जायेगा। कश्यप ने कहा कि उनकी फिल्म ‘गैंग ऑफ वासेपुर’ उनका जीवन बदलने वाली फिल्म थी। कश्यप ने फिल्म उद्योग में अपने जीवन की यात्रा को साझा किया।