जयपुर। पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अशोक गहलोत ने बाड़मेर में रिफाइनरी के शिलान्यास को लेकर पीएम नरेन्द्र मोदी और सीएम वसुंधरा राजे पर बड़ा बयान दिया है। गहलोत ने कहा कि राजस्थान की तस्वीर और तकदीर बदल देने वाली रिफाईनरी परियोजना का शिलान्यास यूपीए की चैयरपर्सन सोनिया गांधी अब से 4 वर्ष पूर्व कर चुकी हैं। उसी रिफाइनरी का भाजपा सरकार द्वारा फिर से शिलान्यास कराने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को बुलाया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जनभावनाओं के आगे भाजपा सरकार को पुरानी शर्तों के आधार पर ही रिफाइनरी लगाने का फैसला लेना पड़ा है और चुनावी लाभ लेने के लिए अब पुन: शिलान्यास करवाने की गलत परम्परा डाली जा रही है।
गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को एक पत्र लिखकर अवगत कराया है कि रिफाईनरी परियोजना का शिलान्यास 22 सितम्बरए 2013 को ही किया जा चुका है। उसके बावजूद पुन: शिलान्यास किया जाना कोई स्वस्थ परम्परा नहीं है। लोकतंत्र में सरकारें तो आती-जाती रहती हैं। मुख्यमंत्री की हठधर्मिता के चलते चार साल बर्बाद हो गये। यदि रिफाइनरी समय से शुरू हो जाती, तो अब तक पूर्ण हो जाती और अच्छा होता कि अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस परियोजना का उद्घाटन करने आते। गहलोत ने शनिवार को मीडियाकर्मियों से कहा कि शायद पीएम मोदी और सीएम वसुंधरा राजे को पहले हो चुके शिलान्यासों का फिर से शिलान्यास करने का शौक है।
गहलोत ने आरोप लगाया कि इस महत्वाकांक्षी योजना को मुख्यमंत्री द्वारा सिर्फ इसलिए लटकाये रखा गया ताकि कांग्रेस को श्रेय नहीं मिल पाये। देरी के परिणामस्वरूप राजस्थान के हजारों युवाओं को रोजगार से वंचित होना पड़ा तथा राजस्थान सरकार को राजस्व के रूप में भारी हानि हुई और साथ ही पेट्रो केमिकल कॉम्पलेक्स से जुड़े हजारों सहयोगी लघु उद्योग तथा रोजगार सृजन में भी देरी हुई। इस नुकसान की भरपाई कभी किसी कीमत पर नहीं हो पायेगी।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री प्रदेशवासियों को इस रिफाइनरी परियोजना में 40 हजार करोड रुपए की बचत का झूंठा राग अलाप कर लगातार भ्रमित करने का प्रयास कर रही है।
– पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने रिफाइनरी को लेकर वसुंधरा राजे सरकार पर ये लगाए आरोप……..
1-रफाइनरी की लागत 2013 में 37 हजार करोड थी जो बढ़कर अब 43119 करोड हो गयी है। इस प्रकार रिफाइनरी की लागत में 6000 करोड़ रुपए की वृद्धि हुई है।
2-मुख्यमंत्री इस परियोजना में राज्य की हिस्सेदारी 26 प्रतिशत को लेकर बार.बार हल्ला कर प्रदेशवासियों को भ्रमित करती रही कि जमीन हमारी, तेल हमारा और पानी भी हमारा फिर भी 26 प्रतिशत हिस्सेदारी ही क्यों? नये एमओयू में भी रिफाइनरी में हिस्सेदारी का प्रतिशत अभी भी 26 प्रतिशत ही क्यों?
-3 पूर्ववर्ती सरकार द्वारा वर्ष 2013 में जो एमओयू किया गया था उस वक्त बाडमेर में उत्पादन होने वाला क्रूड आॅयल जो 4.5 एमएमटीपीए था तथा 4.5 एमएमटीपीए आयात किया जाना था। उसके आधार पर समझौता हुआ था, जिसमें यह शर्त थी कि यदि बाड़मेर में उत्पादन बढ़ता है एवं आयात घटता है तो ऋण की राशि स्वत: ही कम हो जायेगी। वर्तमान में क्रूड आॅयल का उत्पादन बाड़मेर में ही 9.1 एमएमटीपीए होने लग गया है तो ऋण राशि स्वत: ही कम होनी ही थी।
-4 वर्ष 2013 में कांग्रेस सरकार के समय किये गये एमओयू में यह प्रावधान था कि एचआरआरएल को प्रतिवर्ष 9 एमएमटीपीए का उत्पादन मेन्टेन करना आवश्यक था। किसी भी वर्ष इससे कम उत्पादन होने पर अगले वर्ष का ऋण उसी अनुपात में कम हो जायेगा।