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नई दिल्ली । प्रधानमंत्री ने लोकसभा चुनाव जीतने के बाद सबसे पहले लोगों के जीरो प्रतिशत ब्याज पर बैंक खाते खुलवाए जिसे नाम दिया गया पीएम जनदन योजना। लोग खुश भी थे कि मोदी ने जो वादा किया था कि कालाधन आएगा तो सबके खाते में 15 लाख रुपए आएंगे मगर तीन साल बाद जब ऐसा कुछ नहीं हुआ। जिस कारण लोगों का पीएम जनधन योजना से मोह भंग हो गया और अब इन खातों में गिरावट आ रही है जिसकी चिंता वित्त मंत्री अरूण जेटली ने भी जाहिर की है। यूनएन इन इंडिया के उद्घाटन समारोह के दौरान जन धन रेवोल्यूशन कान्क्लेव में बोलते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि पीएम जन धन योजना के अंतर्गत जीरो बैलेंस अकाउंट की संख्या में तेज गिरावट देखने को मिली है। यह बीते तीन वर्षों के दौरान 77 फीसद से गिरकर 20 फीसद पर आ गए हैं। उन्होंने यहां पर कहा कि वंचित वर्गों के लिए खोले गए खातों की संख्या काफी बड़ी थी।

केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि जन धन योजना से पहले तक करीब 42 फीसद परिवार बैंकिंग सेवाओं से दूर थे। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि नोटबंदी के बाद समाज में नकदी की संख्या में गिरावट देखने को मिली है। जेटली ने यह भी बताया कि जनधन खातों के कारण बैंकों पर बोझ न बढ़े इसको देखते हुए भी सरकार ने कदम उठाए हैं। सभी जनधन खातों को कार्ड से जोड़ा गया है। साथ ही दो इंश्योरेंस योजनाओं को भी इस खातों के साथ जोड़ा गया है। वित्त मंत्री ने कहा कि अब तक के सबसे बड़े बैंकिंग अभियान (जन-धन) के तहत देश के 30 करोड़ परिवारों को बीते तीन सालों के भीतर बैंक अकांउट की सुविधा दी गई। सितंबर 2014 को यानी जन धन योजना के लॉन्च होने के तीन महीने बाद 76.81 फीसद अकाउंट जीरो बैलेंस वाले थे। साथ ही उन्होंने कहा कि जन धन योजना के चलते 99.99 फीसद परिवारों के पास कम से कम एक बैंक खाता है।

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