नई दिल्ली। पिछले साल दिल्ली में छाए स्मॉग को देखते हुए इस बार अक्टूबर-नवंबर में एयर पल्यूशन का स्तर नीचे रखने की कवायद तेज हो गई है। केंद्रीय पर्यावरण अधिकारियों का दावा है कि पड़ोसी राज्यों में फसल जलाने, अवैध फैक्टरियों और राजधानी के भीतर प्रदूषण फैलाने वाली गतिविधियों पर लगाम कसने में मदद मिली है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के जॉइंट सेक्रटरी रितेश कुमार सिंह ने एक सेमिनार के दौरान बताया, ‘एनसीआर के सभी जिलाधिकारियों ने एक बैठक में आश्वस्त किया है कि फसल जलाने पर सख्ती की गई है और इस साल ऐसे मामलों में काफी कमी आएगी। यूपी के इलाकों में अवैध ईंट भट्टे बंद करा दिए गए हैं और प्रदूषणकारी गतिविधियों की मॉनिटरिंग तेज हुई है।
उन्होंने बताया कि गेल, एनटीपीसी सहित दिल्ली-एनसीआर की सभी इंडस्ट्रीज के साथ भी मंत्रालय, सीपीसीबी और डीपीसीसी अधिकारियों की बैठक हुई है। दिल्ली के चीफ सेक्रटरी की ओर से बताया गया है कि एक बड़े अभियान के तहत गाड़ियों का पल्यूशन चेक करने वाले ऐसे 100 से ज्यादा पीयूसी सेंटर्स का लाइसेंस कैंसल कर दिया गया है, जो मानकों पर सही नहीं थे। ये 100-150 रुपये लेकर मनमाने सर्टिफिकेट जारी कर देते थे। सीपीसीबी के अडिशनल डायरेक्टर प्रशांत गार्गवा ने बताया कि दिल्ली सहित पूरे एनसीआर में एयर पल्यूशन मॉनिटरिंग स्टेशन की संख्या दोगुना करने और ऑनलाइन सेंटर्स की तादाद बढ़ाने पर काम चल रहा है। पूरी दिल्ली में सीपीसीबी की 40 टीमें खास तौर पर फेस्टिव सीजन के लिए पल्यूशन मॉनिटरिंग के काम में लगाई गई हैं।
उन्होंने बताया कि इतने उपायों के बाद भी अगर पल्यूशन बढ़ा तो ग्रेडेड ऐक्शन प्लान पहले से लागू है और पल्यूशन की मात्रा के आधार पर ऐक्शन प्लान तैयार है। हवा में पीएम-10 या 2.5 की मात्रा गंभीर स्तर तक बढ़ी तो कई औद्योगिक और सामाजिक गतिविधियों पर तुरंत प्रभाव से रोक लगाई जा सकती है। इसके तहत कंस्ट्रक्शन, डीजल जेनरेटर्स पर रोक लगाने, ऑड ईवन लागू करने या पार्किंग फीस बढ़ाने का भी प्रावधान है। इंडस्ट्री असोसिएशंस के साथ हुई बैठक में उन्हें चेताया गया है कि पर्यावरण मानकों का पालन नहीं करने वाले, खतरनाक ईंधन का इस्तेमाल करने वाले या आबोहवा को औद्योगिक कचरे से जहरीला बनाने वालों पर सरकार जीरो टॉलरेंस का रुख रखती है। दिवाली पर पल्यूशन घटाने के लिए भी ऐक्शन प्लान बनाया गया है।
डीपीसीसी के अधिकारियों ने बताया कि जहां स्कूलों के माध्यम से अवेयरनेस को बढ़ाया जा रहा है, वहीं खतरनाक पटाखों के बाजार में प्रवेश और बिक्री रोकने के लिए भी निगरानी बढ़ाई जा रही है। सीपीसीबी अधिकारियों ने बताया कि पूरे देश में करीब 100 शहरों की पहचान की गई है, जहां हवा तय मानकों पर खरी नहीं उतरी है।