नयी दिल्ली। विवादों के कारण हालिया दिनों में सुर्खियों में रहे ‘डेरा सच्चा सौदा’ से जुड़ी संस्थाओं की आय और सामाजिक कार्य के नाम पर इन संस्थाओं को आयकर विभाग से मिलने वाली कर छूट की जानकारी करीब चार वर्ष पहले ‘सार्वजनिक’ श्रेणी में आती थी लेकिन अब यह निजी हो गई है। सूचना के अधिकार, के तहत आयकर विभाग से साल 2013 और 2017 में प्राप्त अलग अलग जानकारी में यह बात स्पष्ट हुई है। सूचना के अधिकार के तहत चंडीगढ़ स्थित आयकर विभाग के डिप्टी कमिश्नर कार्यालय ने 29 सितंबर 2017 को प्रदान की गई जानकारी में कहा गया था कि आपने जो जानकारी मांगी है, वह ‘‘थर्ड पार्टी’’ की श्रेणी में आती है जिसका उल्लेख आरटीआई अधिनियम 2005 की धारा 11 में किया गया है। इसे ध्यान में रखते हुए आरटीआई अधिनियम की धारा 11 और धारा 8 :1: :जे: के तहत मांगी गई जानकारी निजी श्रेणी में आती है और इनका जनहित से कोई संबंध नहीं है। इसके मद्देनजर यह जानकारी नहीं दी जा सकती है। बहरहाल, 11 जुलाई 2013 को सिरसा स्थित आयकर कार्यालय ने डेरा सच्चा सौदा से जुड़ी सामाजिक संस्थाओं के बारे में जानकारी प्रदान की थी । इसमें वित्त वर्ष 2010..11 में डेरा सच्चा सौदा, बेगू रोड, शाह सतनामजी मार्ग, सिरसा की कर मुक्त आय 29.18 करोड़ रूपये दर्शाई गई है । शाह सतनामजी रिसर्च एंड डेवेलपमेंट फाउंडेशन, सिरसा की कर मुक्त आय 16.52 करोड़ रूपये, परमपिता शाह सतनामजी एजुकेशन एंड वेलफेयर सोसाइटी, सिरसा की कर मुक्त आय 1.80 करोड़ रूपये तथा शाह सतनामजी ग्रीन एंड वेलफेयर फोर्स सोसाइटी, सिरसा की कर मुक्त आय 3 करोड़ रूपये दर्शाई गई है।
हिसार स्थित सामाजिक कार्यकर्ता रमेश वर्मा ने साल 2017 में आयकर विभाग से डेरा सच्चा सौदा एवं उससे जुड़ी धार्मिक एवं सामाजिक संस्थाओं को पिछले तीन वर्षों में मिली आयकर छूट का विवरण मांगा था । उन्होंने साल 2013 में भी आयकर विभाग से डेरा सच्चा सौदा के संबंध में ऐसी ही जानकारी मांगी थी । डेरा सच्चा सौदा से जुड़ी सामाजिक एवं धर्मार्थ संस्थाओं के बारे में आयकर विभाग द्वारा जानकारी ‘निजी’ बताये जाने के बारे में पूछे जाने पर पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त ए एन तिवारी ने ‘‘भाषा’’ को बताया कि यह छूट ( डेरा सच्चा सौदा को आय पर कर छूट ) सरकार दे रही है । यह भारत की संचित निधि को नुकसान है। जब भारत की संचित निधि को नुकसान होता है, तब लोगों को इसके बारे में जानने का हक होता है। यह पूछे जाने पर कि वर्ष 2013 और 2017 के बीच ऐसी जानकारी देने के संबंध में आरटीआई कानून में क्या कोई बदलाव आया है, तिवारी ने कहा कि कोई बदलाव नहीं आया है, इस मामले में जानकारी दी जानी चाहिए ।