नयी दिल्ली। सरकार का मानना है कि एक वकील की न्यायाधीश के रूप में पदोन्नति पर विचार करते हुए वकील द्वारा जरुरतमंद को दी जाने वाली मुफ्त कानूनी सहायता महत्वपूर्ण मानदंड होना चाहिए।एक वरिष्ठ सरकारी पदाधिकारी ने कहा कि निस्वार्थ सेवा देने की महत्ता को रेखांकित करने वाले उच्चतम न्यायालय के हाल के दिशा निर्देश से सरकार में यह भावना दृढ़ हुई है कि न्यायाधीश बनने से पहले मुफ्त कानूनी सहायता देना महत्वपूर्ण मानदंड हो। मुफ्त कानूनी सहायता बिना किसी भुगतान या मुआवजे के जनता के हित में किया जाने वाला कार्य होता है।
इस मामले पर कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि हमारी सरकार मुफ्त कानूनी सहायता को बढ़ावा देना चाहती है।
उच्चतम न्यायालय द्वारा खुद के लिए और 24 उच्च न्यायालयों के लिए गत सप्ताह तय किए गए दिशा निर्देशों में वकीलों को वरिष्ठ का दर्जा दिए जाने में वकील द्वारा की गई निस्वार्थ गतिविधियों की बात की गई है।