जयपुर। इस भाग दौड़ भरे जीवन में मनुष्य अपनी इच्छाओं की पूर्ती के लिए कठोर मेहनत और परिश्रम करने में लगा है। ये सत्य है कि परिवार का लालन पोषण करना हर इंसान के लिए जरूरी है। किन्तु इसके साथ-साथ ये भी आवश्यक है कि हम सदैव सकारात्मक सोच और ऊर्जा कस उपयोग करते हुए अपने लक्ष्य को हासिल करें। महाअवतरण परम पूज्य श्रीमाताजी निर्मला देवी द्वारा इस विश्व रुपी संसार को एक दिव्य और नई महान खोज दी गयी है जिसे आत्म साक्षात्कार कहा गया है। इस दिव्य शक्ति ” आत्म साक्षात्कार ” के माध्यम से हम अपने ही शरीर की सकारात्मक ऊर्जा और पांच तत्वों ( जल,वायु,अग्नि,धरती और आकाश ) द्वारा अपने जीवन से जुड़ीं सभी समस्याओं का निदान पा सकते हैं। पांच तत्वों के प्रयोग करने की पद्धति और इस सकारात्मक ऊर्जा को सहजयोग कहते हैं। प्राचीन काल में यह सत्य ज्ञान धरती पर अवतरित हुए अनेक ऋषि मुनियों, साधू संतों, पीर पैगम्बरों के पास था, जिसे साधारण मनुष्य समझ नहीं पाया। यही वजह है कि आज परमात्मा के नाम पर संसार में भ्रम फैला है और इसी के चलते मानव अपने जीवन में कई परेशानियों और बीमारियों से ग्रसित नजर आता है।
धर्म, जाति, ऊंच-नीच के भेदभाव के नाम पर इंसान विभक्त हो चुका है और अपनी अज्ञानता के कारण वह इस खूबसूरत संसार को नष्ट करने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। ऐसे कठिन और विकट समय में, पूरे ब्रह्माण्ड की रचना करने वाली शक्तियां, श्रीमाताजी निर्मला देवी के रूप में अवतरित हुईं हैं और उन्होंने पूरी मानव जाति के साथ-साथ संसार की रक्षा करने के लिए “आत्म साक्षात्कार” रुपी इस ज्ञान को सार्वजनिक किया है। परम पूज्य श्रीमाताजी निर्मला देवी के अनुसार, संसार की रक्षा और सतयुग की स्थापना के लिए ‘सहजयोग’ एक मात्रा रास्ता है। श्रीमाताजी का कहना है कि इसके अलावा और कोई रास्ता नहीं है क्यूंकि मनुष्य के सभी कार्य मस्तिष्क से उत्पन्न हुए हैं और ‘सहजयोग’, मानव उत्क्रांति में मस्तिष्क से परे उच्चतर स्थिति को पाने की एक घटना है।
सुरेखा गर्ग
स्प्रिचुअल फाउंडेशन टीम