जैन आगमानुसार विवाह सम्पन्न -समाज मे परिवर्तन लाने की अच्छी पहल हुई इस आर्दश विवाह की चारों ओर प्रशंसा
जयपुर। इस युग में जहां लोग पैसे के दिखावे को तवज्जो दे रहे हैं और अपने निजी कार्यक्रमों में जिस तरह से अनाप-शनाप पैसा खर्च कर रहे हैं, दिखावा कर रहे हैं अपनी शान बढ़ाने के लिए ऐसे-ऐसे जतन कर रहे हैं कि जिससे जिससे समाज में उनका नाम हो और उनकी प्रतिष्ठा बढ़े मगर इसके उलट जयपुर में दिगम्बर जैन महासमिति महिला अंचल की पदाधिकारी के सुपुत्र उत्कर्ष का विवाह शुभांगी के साथ जैन आगमानुसार सम्पन्न हुआ। जयपुर जैन समाज में यह पहला आर्दश विवाह हैं। सात दिवसीय वैवाहिक आयोजन में पहले दिन विवाह रोपण ब्यााव हाथ के दिन महावीर नगर जैन मंदिर जी मे पंच परमेष्ठी विधान कर वैवाहिक कार्यक्रमो का शुभारंभ किया गया। स्टेज पर महिला संगीत मे महिलाओं के नृत्य का बहिष्कार करते हुए घर पर ही मंगल गीतों का आयोजन किया जिसमें परिवार कुटुम्बियों व समाज की महिलाओं ने खूब उत्साह से भाग लिया।
वर के आशीर्वाद के रूप मे केवल 100 रु का लिफाफा लिया। स्नेंह भोज में केवल मात्र 21 आईटम ही खाने में रखे गये। श्री दि जैन मंदिर जी संघी सांगानेर मे प्रात: दूल्हे ने जिनेन्द्र देव का अभिषेक व शान्ति धारा की तत्पश्चात भक्तामर विधान कर हवन कुण्ड के सात फेरे लिए जिसमें परिवार जन , कुटुम्बियों ने तथा समाज के सह धर्मियो ने नव वर वधु को हृदय से आशीर्वाद दिया। दोपहर मे शुद्ध जैन स्नेह भोजन हुआ। सायं नव वर वधु जैन सिद्ध क्षेत्र श्री मथुरा चौरासी के दर्शन करने गए तत्पश्चात वधु ने अपने ससुराल मे गृह प्रवेश कर गृहस्थ जीवन को अपनाया। राजस्थाान जैन युवा महा सभा के प्रदेश महामंत्री ने बताया कि जैन आगमानुसार विवाह की यही परम्परा है जिसे अपनाकर समाज मे परिवर्तन लाने की अच्छी पहल हुई है। जयपुर जैन समाज मे यह पहला विवाह है जो जैन परम्परानुसार गुरूवर श्री 108 सुधासागर जी महाराज के आशीर्वाद से सान्नद सम्पन्न हुआ है इस आर्दश विवाह की पूरे देश के जैन समाज में बहुत प्रशंसा हो रही हैं।