About 10 lakh people die every year due to injuries in India:

जयपुर। भारत में चोट लगने से प्रति वर्ष लगभग 10 लाख लोगों की मृृत्यु हो जाती है। चोट से होने वाली प्रत्येक मौत के मुकाबले 135 ऐसे व्यक्ति भी होते हैं जिनका इलाज किया जाता है और वे जीवित बच पाते हैं। इनमें से अनेक का तो पंजीकरण नहीं हो पाता है अथवा केस ही दर्ज नहीं होता है। वैश्विक स्तर पर देखा जाए तो चोट से मरने वाले लोगों में 83 प्रतिशत लोग लोअर मिडिल इनकम देशों में होती है। चोट लगने एवं ट्रीटमेंट मिलने पर प्रत्येक 10 से 50 जीवित बचने वाले लोग अस्थायी अथवा स्थायी रूप से विकलांग हो जाते हैं।

यह कहना था जॉन्स हॉपकिंस ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हैल्थ, यूएसए, की डीन, डॉ. एलेन जे. मैकेंजी का। वे आज ‘टुवर्ड्स जीरो प्रिवेंटेबल डेथ एंड डिसेबिलिटी फ्रॉम इंजरी: ए सिस्टम्स अप्रोच‘ थीम पर आयोजित पी. डी. अग्रवाल मेमोरियल लैक्चर में मुख्य भाषण दे रही थीं। जयपुर के महाराणा प्रताप सभागार में यह लैक्चर भोरुका चैरिटेबल ट्रस्ट (बीसीटी) की ओर से इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ हैल्थ मैनेजमेंट रिसर्च (आईआईएचएमआर) के सहयोग से आयोजित किया गया।

भारत में चोट से होने वाले रोगों की बढ़ती संख्या पर डॉ. मैकेंजी ने कहा कि भारत में प्रति वर्ष 2,50,000 मौत सड़क दुर्घटनाओं सें होती है, जो कुल मौतों का एक तिहाई भाग है। देश में 2,30,000 मौत में से आत्महत्या से सम्बंधित चोटएक अन्य प्रमुख कारण है। देश में 15 से 49 वर्ष की आयु के लोगों की बीमारियों के कारण होने वाली मौत करीब दो तिहाई भाग है।

भारत में ट्रोमा केयर की स्थिति के बारे में बात करते हुए उन्होंने बताया कि भारत के हैल्थकेयर सिस्टम में कई कमियां है, जिनमें ‘112‘ इमरजेंसी की आंशिक कवरेज; सीमित देखभाल व एम्बुलेंस ट्रांसपोर्ट; डेफिनेटिव हॉस्पिटल ट्रोमा केयर; कमजोर समन्वय; सीमित निगरानी कुछ प्रमुख कमियां हैं। ट्रोमा केयर के लिए क्षेत्रीय व्यवस्था बनाना उपयुक्त मरीज को सही समय पर सही देखभाल के लिए ले जाने के लिए महत्वपूर्ण है। यह विश्वसनीय संचार, अस्पताल से पूर्व की देखभाल, अस्पताल में समय पर कार्यवाही का निर्धारण करने, सही अस्पताल की देखभाल के लिए परिवहन व्यवस्था और स्वास्थ्य सुधार के लिए परेशानी रहित स्थानांतरण के जरिए किया जा सकता है।

स्वर्गीय श्री पी. डी. अग्रवाल का परिचय देते हुए आईआईएचएमआर और बीसीटी के ट्रस्टी, डॉ. अशोक अग्रवाल ने कहा कि श्री पी. डी. अग्रवाल प्रवर्तक एवं दूरदर्शी परोपकारी व्यक्ति थे, जो काम को अपना कर्तव्य मानते थे। इस अवसर पर उन्होंने पी. डी. अग्रवाल के कुछ किस्से भी साझा किए, जिनके जरिए उनकी निष्पक्षता, महानता व परोपकारिता पर प्रकाश डाला गया, जो इस संस्थान, कर्मचारियों एवं समकक्षों के लिए प्रेरणा के बड़े स्त्रोत हैं।

इस अवसर पर आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी के ट्रस्टी, डॉ. एस. डी. गुप्ता ने मुख्य वक्ता, डॉ. मैकेंजी का परिचय दिया और कहा कि यह मैमोरियल लैक्चर स्वर्गीय श्री पी. डी. अग्रवाल द्वारा समाज को दिए गए योगदान को याद करने की एक पहल है।

आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी के प्रेसीडेंट, डॉ. पंकज गुप्ता ने बताया कि पी. डी. मेमोरियल लैक्चर्स के दौरान पहले भी कई प्रतिष्ठित व्यक्ति अपने-अपने क्षेत्रों की महत्वपूर्ण जानकारियां साझा कर चुके हैं और इस बार इसमें डॉ. एलेन जे. मैकेंजी का जुड़ना काफी खुशी की बात है।

लैक्चर के अंत में क्वेश्चर-आंसर सैशन आयोजित किया गया, जिसमें अतिथियों को पैनल के साथ वार्तालाप करने का अवसर मिला।

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