जयपुर. डीजी एसीबी का अतिरिक्त चार्ज लेते ही हेमंत प्रियदर्शी का पहला आदेश की चर्चाओं में हैं। इस आदेश से एसीबी का भ्रष्ट अधिकारी और कर्मचारियों में डर काफी कम हो गया हैं। मीडिया में खबर आने और फोटो आने का एक बड़ा डर हर भ्रष्ट व्यक्ति में होता हैं। इस आदेश ने बता दिया कि आज तक जो हो रहा था वह सही नहीं हो रहा था। प्रियदर्शी ने आदेश में लिखा है कि एसीबी के सभी चोकी प्रभारियों को सूचित किया जाता है कि ब्यूरो टीम द्वारा ट्रेप के बाद जब तक कोर्ट द्वारा अपराध सिद्ध नहीं हो जाता तब तक आरोपी संदिग्ध का नाम एव फोटो मीडिया या अन्य किसी व्यक्ति विभाग में वायरल नहीं किया जाए। केवल मीडिया में ट्रेप होने वाले का नाम,विभाग का नाम,आरोपी का पदनाम की सूचना मीडिया में सार्वजनिक की जाए। जब से एसीबी की स्थापना हुई है भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों की वीडियो और फोटो खुद एसीबी के अधिकारी मीडिया हाउसेज में भेजा करते थे। जिससे की अधिक से अधिक लोगों को पता चल सके की एसीबी ने एक भ्रष्ट सरकारी अधिकारी को ट्रेप किया हैं। मीडिया में फोटो आने पर लोगों में एसीबी के प्रति विश्वास और अधिक बढा। देखते ही देखते एसीबी के अधिकारियों ने मौके पर मीडिया को बुलाना शुरू किया। आरोपी सहित ट्रेप की राशि तक को मीडिया में दिखाया जाता था। यही नहीं आरोपी के घर पर हो रहे सर्च को भी एसीबी के अधिक बड़ी प्रमुखता के साथ छापने को कहते थे। लेकिन इस आदेश ने आज तक के एसीबी के काम को लेकर एक सवाल खड़ा कर दिया हैं। सवाल यह है कि आज तक जो हो रहा था क्या वह सही नहीं था, या अब जो हो रहा है वह सही है।

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