जलदाय विभाग में फर्म ने बिना योग्यता हासिल किए थे टेंडर, शिकायत की जांच में फर्जीवाड़ा आया सामने, प्रमुख सचिव के निर्देश पर मुख्य अभियंता शहरी ने की कार्रवाई, मैसर्स एच.एस.एन्टरप्राइजेज 7 मई, 2017 से 11 जून, 2018 तक की अवधि में निविदाओं में भाग लेने के योग्य नहीं थी
-जनप्रहरी एक्सप्रेस
JAIPUR. जलदाय विभाग ने फर्जीवाड़ा करने वाली एक फर्म पर कार्रवाई करते हुए उसे डी-लिस्ट कर दिया। फर्म ने फर्जी तरीके से विभाग में करोड़ों रूपए के टेंडर हासिल कर लिए थे, जिसकी शिकायत प्रमुख शासन सचिव तक पहुंची थी। विभागीय जांच में फर्जीवाड़ा उजागर होने के बाद मुख्य अभियंता शहरी आई.डी. खान ने 7 सितम्बर, 2018 को फर्म को डी-लिस्ट करने के आदेश जारी किए। दरअसल जलदाय विभाग में मैसर्स एच.एस.एन्टरप्राइजेज, जयपुर द्वारा योग्यता नहीं होने के बाद भी निविदाओं में भाग लिया और गलत तथ्यों से प्राप्त किया।
मैसर्स एच.एस.एन्टरप्राइजेज 7 मई, 2017 से 11 जून, 2018 तक की अवधि में निविदाओं में भाग लेने के योग्य नहीं थी। फर्म के स्थाई पंजीयन का अंतिम बार पुनरावलोकन 7 मई, 2015 को किया गया था और 2 वर्ष बाद फर्म को पंजीयन का रिव्यू कराना था, लेकिन फर्म ने 2 वर्ष पूर्ण होने पर पंजीयन का रिव्यू नहीं कराया और तथ्यों को छुपाकर निविदाओं में भाग लिया और कार्य प्राप्त किए। पंजीयन का पुनरावलोकन नहीं कराने की शिकायत होने पर फर्म मैसर्स एच.एस.एन्टरप्राइजेज द्वारा 10 मई, 2018 को पंजीयन के पुनरावलोकन के लिए आवेदन किया, जो कि एक वर्ष से ज्यादा समय की देरी से था।
इस अवधि के दौरान फर्म तथ्यों को छुपाते हुए कई निविदाओं में शामिल हुई। जयपुर अधिशाषी अभियंता नगर खण्ड द्वितीय-उत्तर की निविदा 44/2017-18 में भी मैसर्स एच.एस.एन्टरप्राइजेज जयपुर ने भाग लिया और निविदा को हासिल किया। फर्म द्वारा फर्जी तरीके से विभाग में करोड़ों रूपए के टेंडर हासिल करने की शिकायत प्रमुख शासन सचिव को मिलने के बाद विभागीय जांच में फर्म का फर्जीवाड़ा सामने आया। मुख्य अभियंता शहरी आई.डी.खान द्वारा जांच में दोषी पाए जाने पर फर्म को 6 जुलाई, 2018 को 15 दिवस में स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने के निर्देश दिए, लेकिन फर्म द्वारा कोई जवाब नहीं दिया गया। इसके बाद विभाग द्वारा 27 अगस्त, 2018 को फिर से रिमाइण्डर जारी किया गया, लेकिन फर्म द्वारा फिर भी कोई जवाब नहीं दिया। मुख्य अभियंता शहरी आई.डी.खान द्वारा फर्म मैसर्स एच.एस.एन्टरप्राइजेज, जयपुर को दोषी मानते हुए 7 सितम्बर, 2018 को विभागीय सूची से फर्म को डी-लिस्ट करने के आदेश जारी किए।