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राजस्थान के बाड़मेर में आरटीआई एक्टिविस्ट व व्हील्स ब्लोअर अमराराम गोदारा पर जानलेवा हमला हुआ। हमलावरों ने हाथ-पैर तोड़ दिए और उसे मरा समझकर पटक गए। अमराराम गोदारा अस्पताल में भर्ती है और गंभीर अवस्था में है। उन्होंने रसूखदार हमलावरों के नाम बताए हैं, जिन्होंने उस पर जानलेवा हमले किए हैं। हालांकि पुलिस ने बताए रसूखदारों के बजाय हमलावर चार लोगों को गिरफ्तार पकड़ा है। देश-प्रदेश में मीडिया की सुर्खियों के बावजूद पुलिस अभी तक रसूखदारों को पकड़ नहीं पाई है।

अमराराम गोदारा पर हमला इसलिए हुआ है कि उसने आरटीआई के माध्यम से ग्राम पंचायत के विकास कार्यों, मनरेगा समेत अन्य कार्यों में हो रहे फर्जीवाड़े, घोटालों को उजागर करने की हिम्मत दिखाई। हमले को लेकर पुलिस व प्रशासन को सूचना दी, लेकिन इन्हें सुरक्षा उपलब्ध नहीं करवाई गई, जो सरकार और शासन की घोर लापरवाही को दर्शाता है। अधिकांश आरटीआई एक्टिविस्ट व व्हील्स ब्लोअर शासन व सरकार में व्याप्त भ्रष्टाचार, गड़बडिय़ों और अव्यवस्था को उजागर करते रहते हैं। अपनी जान की परवाह किए बिना एक्टिविस्ट कागजों व फाइलों में दबे भ्रष्टाचार को सरकार और शासन के सामने लाते हैं। इससे भ्रष्ट शासन पर अकुंश लग रहा है, वहीं जनोपयोगी कार्यक्रमों में पारदर्शिता भी आ रही है। यह सब आरटीआई कानून और एक्टिविस्ट की बदौलत हो रहा है।

इस कानून की बदौलत गांव-गांव में विकास कार्यों में पारदर्शिता आने लगी है। हालांकि भ्रष्टाचार को उजागर करने से दुश्मनी भी झेलनी पड़ रही है। कार्यपालिका में बैठे भ्रष्ट अफसरों और ठेकेदारों के गठजोड के चलते आरटीआई एक्टिविस्टों को प्रताडि़त, परेशान किया जाता है। बहुतों पर जानलेवा हमले भी हो चुके हैं। कुछ की मौतें भी। राजस्थान में सोलह आरटीआई एक्टिविस्ट पर जानलेवा हमले हो चुके हैं। चार की मौत हो गई है। अमराराम गोदारा भी जिन्दगी और मौत के बीच अस्पताल में भर्ती है। भगवान उन्हें सलामत रखें। साथ ही सरकार और शासन को सद्बुद्धि दे कि भ्रष्टाचार को उजागर करने वाले एक्टिविस्ट को अमरीका और यूरोपीय देशों की तर्ज पर कानूनी सुरक्षा और संरक्षण प्रदान करें। अमरीका व यूरोप के कई देशों में एक्टिविस्ट की पहचान गुप्त रखी जाती है। दस्तावेज मांगने पर नाम नहीं बताना पड़ता। यहीं नहीं सरकार भी ऐसे एक्टिविस्ट को संरक्षण, प्रोत्साहन, सुरक्षा प्रदान करती है। भ्रष्टाचार, टैक्स चोरी उजागर करने या बात पर उन्हें सरकारी मदद भी मिलती है। लेकिन भारत में इसका उलटा हो रहा है। यहां भ्रष्टाचार उजागर करने वालों को दुश्मन मानते हुए भ्रष्ट अधिकारी, ठेकेदार व प्रभावित लोग पीछे पड़ जाते हैं। सहायता मांगने पर भी सरकार और पुलिस सुरक्षा उपलब्ध नहीं करवा पाती। देश में संसद में पारित व्हिसल ब्लोअर प्रोटेक्शन संशोधित एक्ट पारित है, जिसमें एक्टिविस्ट को सुरक्षा का प्रावधान रखा गया है। लेकिन आज तक किसी सरकार ने नियम तक नहीं बनाए। सरकार भ्रष्टाचार रोकने की बातें खूब करती हैं, लेकिन अंदरखाने भ्रष्टाचारियों के साथ खड़ी दिखाई देती है। यहीं वजह है कि देश में भ्रष्टाचार के खात्मे के लिए कठोरतम कानून नहीं है और ना ही इसे उजागर करने वालों की सुरक्षा, संरक्षण और प्रोत्साहन का प्रावधान। भ्रष्टाचार तभी खत्म हो सकता है, जब सरकार साफ नीयत से एक्टिविस्ट को कानूनी सरंक्षण, सुरक्षा और प्रोत्साहन दे।

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