जयपुर। आदर्श नगर विधानसभा सीट से इस बार कांग्रेस ने रफीक खान को भाजपा प्रत्याशी अशोक परनामी के सामने उतारा है। इस सीट पर तीन दर्जन तीसरे मोर्चे और निर्दलीय प्रत्याशी भी चुनाव मैदान में है, लेकिन मुख्य मुकाबला अशोक परनामी और रफीक खान के बीच में ही है। दोनों ही प्रत्याशी उद्योगपति है और बड़े इण्डस्ट्रियल भी है। परनामी के लिए आदर्शनगर विधानसभा क्षेत्र जहां जाना-पहचाना है, वहीं रफीक खान को पहली बार टिकट मिलने से क्षेत्र से थोड़े बहुत अनभिज्ञ है। हालांकि रफीक खान की डोर टू डोर कैम्पनिंग से उन्हें पहचान मिली है। फिर भी क्षेत्र में चर्चा है कि कांग्रेस ने स्थानीय कार्यकर्ता और नेता को दरकिनार करके बाहरी नेता को प्रत्याशी बनाया है, जिसके चलते रफीक खान को फिलहाल स्थानीय नेताओं व कार्यकर्ताओं को पूरा समर्थन नहीं मिल पा रहा है। रफीक खान और उनके समर्थक नेता स्थानीय नेताओं को राजी करने में लगे हुए हैं। वे काफी हद तक सफल भी हो गए हैं, लेकिन फिलहाल उनका पूरा साथ नहीं दिख रहा है, जिसके चलते वे चुनाव प्रचार में अशोक परनामी से कमतर दिख रहे हैं।
बताया जाता है कि रफीक खान शेखावाटी अंचल से आते हैं और बनीपार्क में रहते हैं। वे कांग्रेस नेता व पूर्व सांसद अश्क अली टांक के भतीजे है और मदरसा बोर्ड की चेयरमैन मेहरुनिशां टांक के भाई है। पहली बार रफीक खान को टिकट मिला है, लेकिन अभी तक किसी बड़े नेता ने उनके समर्थन में बैठक या सभा नहीं है, जिसके चलते उनका चुनाव परवान चढ़ नहीं पा रहा है। ब्रजकिशोर शर्मा, ज्योति खण्ड़ेलवाल आदि नेता ही उनकी सभाओं में आ रहे हैं। यहीं नहीं कांग्रेस के वर्तमान व पूर्व पार्षदों को भी पूरा साथ नहीं मिल पा रहा है। कांग्रेस से जो टिकट के दावेदार थे, वे भी पूरे मन से रफीक खान के साथ नहीं हो रहे हैं, जिसके चलते उनका चुनाव प्रचार वो रफ्तार नहीं पकड़ पा रहा है, जो अशोक परनामी का है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं का कहना है कि रफीक खान क्षेत्र के लिए नए हैं। बड़े नेताओं की मीटिंग या सभा के बाद ही चुनाव प्रचार में तेजी आ सकती है।
फिलहाल प्रचार डोर टू डोर पर ज्यादा फोकस है। एक दिसम्बर के बाद ही चुनावी रंगत दिखने लगेगी। उधर, अशोक परनामी भी क्षेत्र में डोर टू डोर कैम्पेन में लगे हुए हैं, साथ ही नाराज कार्यकर्ताओं से फिर से रिश्ते कायम कर रहे हैं। परनामी को सांसद बोहरा, शहर अध्यक्ष संजय जैन और उनकी टीम को पूरा सहयोग मिल रहा है। पार्षदों की पूरी टीम परनामी के साथ होने से वे चुनावी प्रचार में मजबूती स्थिति में दिख रहे हैं।लेकिन दोनों ही दलों के सामने सबसे बड़ी दिक्कत निर्दलीय प्रत्याशियों से है। इस बार भाजपा व कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने वाले निर्दलीय प्रत्याशी भी है। परनामी ने एक बड़े बागी ब्रदरी सिंह राजावत को मनाने में सफलता प्राप्त कर ली है। राजावत के खड़े रहने से आगरा रोड पर भाजपा प्रत्याशी को नुकसान पहुंच सकता था। फिर भी काफी हिन्दु प्रत्याशी चुनाव मैदान में है, लेकिन जयपुर प्रभारी रामचरण बोहरा व अन्य नेता उन्हें मनाने में लगे हुए हैं।
इसी तरह एक दर्जन निर्दलीय मुस्लिम प्रत्याशी भी चुनावी मैदान में है, जो कांग्रेस प्रत्याशी को नुकसान पहुंचाएंगे। इस सीट पर बराबर की टक्कर रहती है। जीत का अंतराल कुछ हजार वोटों से रहता आया है। ऐसे में जो निर्दलीय को बैठाने-मनाने में सफल रहेगा, वो फायदेमंद रहेगा। अन्यथा निर्दलीयों को मिले वोट भाजपा कांग्रेस प्रत्याशी की चुनावी नैया डूबो सकते हैं। वैसे दोनों ही प्रत्याशी नामांकन तिथि के बाद भी निर्दलीयों को मनाने में लगे हुए है। अब देखना है कि कौन कितना डैमेज कंट्रोल करके अपनी चुनावी नैया पार लगा पाता है।