-राकेश कुमार शर्मा
जयपुर। राजस्थान के करोड़ों रुपए के विज्ञापन घोटालों में फरार चल रहे क्रियोंस एड कंपनी के संचालक अजय चौपड़ा ने आज मंगलवार को यहां भ्रष्टाचार मामलात की विशेष कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया है। एसीबी ने उसे गिरफ्तार कर लिया है। कल कोर्ट में पेश करके उसे रिमाण्ड पर लिया जाएगा। अजय चौपड़ा की क्रियोंस एड कंपनी राजस्थान सूचना व जनसंपर्क विभाग की विज्ञापन प्रदाता एजेंसी राजस्थान संवाद से अनुबंधित थी। क्रियोंस ने नियम-कायदों को दरकिनार करके करोड़ों रुपए के विज्ञापन उन अखबारों व मैगजीनों को भी दे दिए, जो अस्तित्व में नहीं थी और ना ही प्रसार संख्या थी। कुछ मैगजीन तो विज्ञापनों के लिए अप्रूव्ड भी नहीं थी। बड़े अखबारों को भी विज्ञापन देने में नियमों की अवहेलना की गई। एसीबी ने इस मामले में क्रियोंस के साथ सूचना व जनसंपर्क विभाग के अफसरों को भी जांच में दोषी माना है, हालांकि चालान कंपनी के कर्मचारियों के खिलाफ किया। अफसरों के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया है एसीबी ने। कोर्ट ने अफसरों के खिलाफ कार्रवाई के लिए एसीबी से जवाब मांगा रखा है। क्रियोसं कंपनी पर करीब डेढ़ सौ करोड़ से अधिक के विज्ञापन घोटाले के आरोप हैं। इस मामले में कंपनी के तीन कर्मचारी पहले ही गिरफ्तार हो चुके हैं, जिनकी चालान के बाद जमान हो चुकी है।
– एसीबी कोर्ट में पहुंच आत्मसमर्पण किया
मंगलवार सुबह भ्रष्टाचार मामलात की विशेष कोर्ट में अजय चौपड़ा अपने वकील के साथ पहुंचे। उन पर चल रहे सभी चारों प्रकरणों में सरेण्डर करने की अर्जी लगाई। चौपड़ा के सरेण्डर करने की सूचना पर एसीबी के अफसर भी कोर्ट में पहुंचे। एसीबी अफसरों ने चारों मामलों के बजाय एक ही मामले में गिरफ्तार किया। कोर्ट ने भी एक ही मामले में गिरफ्तार की मंजूरी दी। चौपड़ा ने चारों प्रकरणों में जमानत अर्जी भी लगाई है। इन अर्जियों पर बुधवार को सुनवाई होगी।
– यह है मामला
राजस्थान की पिछली कांग्रेस सरकार में सरकारी विज्ञापनों में करोड़ों रुपए के इस घोटाले मामले में क्रियोंस एड कंपनी के संचालककर्ताओं के अलावा सूचना व जनसम्पर्क विभाग और राजस्थान संवाद के अफसरों की भी मिलीभगत रही है। एसीबी की जांच में विभाग के आला अफसरों को भी भ्रष्टाचार में दोषी माना है, लेकिन इन पर कार्रवाई नहीं की है। एसीबी ने जांच का दायरा राजस्थान संवाद से जुड़ी व अनुबंधित क्रियोंस एड कंपनी के मालिक अजय चौपड़ा व उनके कर्मचारियों पर रखते हुए उन्हें आरोपी बनाया है। जबकि करोड़ों रुपए के इस घोटाले में नियम-कायदों के विपरीत विज्ञापन जारी करके सरकारी कोष को चपत लगाने वाले अफ सरों को एसीबी ने आरोपी नहीं बनाया है। जबकि अनुसंधान में अफसरों की भी लिप्तता सामने आ चुकी है। दस्तावेजों में डीपीआर निदेशक व विभाग के दूसरे आला अफ सरों की सरकारी विज्ञापन जारी करने संंबंधी कई अनुशंषा और आदेश दस्तावेजों में है। इन दस्तावेज के आधार पर कोर्ट ने एसीबी से जवाब मांग रखा है। परिवादी एडवोकेट शंकर लाल गुर्जर के परिवाद पर इस घोटाले की जांच हो रही है।
– इन अफसरों पर कस सकता है शिकंजा
इस विज्ञापन घोटाले की जांच एसीबी के एएसपी मनीष त्रिपाठी ने की थी। त्रिपाठी ने 21 अप्रैल 2014 को अनुसंधान के बाद रिपोर्ट पेश की है। रिपोर्ट में माना है कि तत्कालीन मुख्य सचिव सी.के. मेथ्यू, आईएएस निरंजन आर्य, ताराचंद मीणा, शेलेन्द्ग अग्रवाल, डीपीआर निदेशक लोकनाथ सोनी और आईएएस पुरुषोत्तम अग्रवाल की ओर से क्रियोसं कंपनी के संचालक अजय चौपडा को हुए गलत भुगतान में आपराधिक पर्यवेक्षणीय लापरवाही की है। हालांकि एसीबी के अपनी जांच में इन्हें दोषी मानने पर भी आरोपी नहीं बनाना कई सवाल खड़े कर रहे हैं।