– छेड़छाड़ और अनुसूचित जाति-जनजाति कानून के तहत दर्ज करवाया था मुकदमा
– पुलिस की भेदभावपूर्ण कार्रवाई के विरोध में सैकड़ों लोगों ने मुख्यमंत्री को भेजा ई-मेल
जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने एडवोकेट गोवर्धन सिंह के खिलाफ छेड़छाड़ और अनुसूचित जाति-जनजाति कानून के तहत दर्ज आपराधिक प्रकरण में कार्रवाई पर रोक लगा दी है। जयपुर पश्चिम में एसीपी सदर के पद पर तैनात आरपीएस अधिकारी संध्या यादव ने उनके खिलाफ कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन के दौरान 30 मार्च को छेड़छाड़ और जातिसूचक गाली गलौच किए जाने का आरोप लगाते हुए तीन अप्रेल को मुकदमा दर्ज करवाया था। इसी मामले को लेकर गोवर्धन सिंह ने एक अप्रेल को ईमेल से पुलिस को लिखित इत्तिला भेजी, जिस पर पुलिस ने एफआईआर तक दर्ज नहीं की और दो दिन बाद एसीपी की शिकायत पर मुकदमा दर्ज कर लिया। वहीं गोवर्धन सिंह की ओर से राजस्थान हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष महेंद्र शांडिल्य, महासचिव अंशुमान सक्सेना, रविंद्र सिंह, प्रमेश्वर पिलानियाँ, अजीत सिंह, राजेश गुर्जर, सहीराम, जीतकेश आदि अधिवक्ताओं ने आपराधिक विविध याचिका दायर कर इस एफआईआर को हाईकोर्ट में चुनौती दी। जिस पर मंगलवार को जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा की एकलपीठ ने आवश्यक प्रकृति का प्रकरण मानते हुए सुनवाई की और प्रारम्भिक सुनवाई के बाद याचिकाकर्ता के खिलाफ कार्रवाई पर रोक लगाते हुए पुलिस से जवाब मांगा।
रंजिश निकालने के लिए लॉकडाउन को बनाया हथियार
याचिकाकर्ता एडवोकेट गोवर्धन सिंह की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि कोरोना महामारी की विशेष परिस्थितियों के बावजूद राजस्थान पुलिस नागरिकों के प्रति बिल्कुल भी संवेदनशील नहीं है। जयपुर पश्चिम में एसीपी सदर के पद पर तैनात आरपीएस अधिकारी संध्या यादव ने दिनांक 30 मार्च को इस परिस्थिति को एक अवसर के रूप में लेते हुए अपने खिलाफ न्यायालय में पैरवी करने वाले जाने-माने वकील और मानवाधिकार कार्यकर्ता एडवोकेट गोवर्धन सिंह को सक्षम अधिकारी द्वारा जारी अनुमति के बावजूद बीच चौराहे पर रोका और अपने उच्चाधिकारी द्वारा दी गयी लिखित अनुमति को अपनी लिखावट में निरस्त करते हुए दुर्व्यवहार किया। यहां तक की छेड़छाड़ के झूठे आरोप तक लगा दिए। एडवोकेट गोवर्धन सिंह ने एक अप्रेल को पुलिस थाना सिंधी कैम्प(जयपुर पश्चिम) को अपने साथ हुए दुर्व्यवहार की लिखित इत्तिला दी उस पर एफआईआर दर्ज नहीं की गई जबकि कानूनन एफआईआर तुंरत प्रभाव से दर्ज की जानी चाहिए थी इसके सम्बंध में समय-समय पर राजस्थान पुलिस के मुखिया ने भी निर्देश दिए हैं। जबकि उसी पुलिस ने संध्या यादव आरपीएस के द्वारा तीन अप्रेल को पुलिस थाना सदर में दी गई शिकायत पर एफआईआर संख्या 103/20 दर्ज कर ली गई, जिसमें एडवोकेट गोवर्धन सिंह के खिलाफ छेड़छाड़, जातिसूचक गालियां निकालने, राजकार्य में बाधा डालने यहां तक कि ईमेल से एफआईआर भेजे जाने के आरोप में आईटी एक्ट के तहत आपराधिक प्रकरण तत्काल दर्ज कर, आगामी कार्रवाई की तैयारी शुरू कर दी गयी। यह पुलिस की वर्दी और अनुसूचित जाति-जनजाति अधिनियम के दुरुपयोग का सर्वोत्तम उदाहरण है। जिम्मेदार पुलिस अफसर द्वारा ऐसी विशेष परिस्थितियों में अपनी व्यक्तिगत रंजिश निकालने का यह प्रयास दुर्भाग्यपूर्ण है।
मुख्यमंत्री को भेजी सैकड़ों शिकायतें
सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने वाले जाने माने मानवाधिकार कार्यकर्ता एडवोकेट गोवर्धन सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज किए जाने पर प्रदेशभर से सैकड़ों लोगों ने पुलिस पर भेदभावपूर्ण कार्रवाई करने का आरोप लगाया और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को ईमेल भेजकर मामले का अनुसंधान वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी से करवाने का अनुरोध किया।