दिल्ली. केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा है कि कृषि यंत्रीकरण कृषि क्षेत्र के सतत विकास के लिए महत्वपूर्ण घटको में से एक है, जो समय पर कृषि कार्यों के माध्यम से उत्पादन वृद्धि में मदद करता है, घाटे को कम करता है, मंहगे आदानों का बेहतर प्रबंधन सुनिश्चित करने के माध्यम से विभिन्न कृषि कार्यो की लागत कम करने, प्राकृतिक संसाधनों की उत्पादकता में वृद्धि और विभिन्न कृषि कार्यो से जुड़ी दिक्कतों को कम करने मे मदद करता हैं। सिंह ने यह बात आज शेर ए कश्मीर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन केंद्र में आयोजित संसदीय परामर्शदात्री समिति की अंतर सत्र बैठक में कही। इस बैठक के दौरान चर्चा के लिए चुना गया विषय था- ‘कृषि यंत्रीकरण’। इस मौके पर केन्द्रीय कृषि राज्य मंत्री, सुदर्शन भगत और परामर्शदात्री समिति के माननीय सदस्य, उपस्थित थे।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में शिफ्ट मैकेनिकल और बिजली स्रोतों के उपयोग की दिशा में रहा है, जबकि 1960-61 में लगभग 92.30% कृषि कार्यो मे उपयोग होने वाली शक्ति सजीव (प्राणी + मानवीय) स्रोतों से आ रही थी। 2014-15 में सजीव शक्ति स्रोतों का योगदान घटकर लगभग 9.46% रह गया है और यांत्रिक और विद्युत स्रोतों की शक्ति का योगदान 1960-61 मे जो 7.70% था, बढ़कर 2014-15 में लगभग 90.54% हो गया है।