जयपुर। सूफ ी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह, अजमेर में दस साल पहले हुए बम धमाके मामले में दोषी करार दिए गए आरोपी देवेन्द्र गुप्ता और भावेश पटेल की सजा का फैसला टल गया है। सीबीआई मामलात की विशेष कोर्ट में गुरुवार को फैसला सुनाया जाने वाला था, लेकिन आरोपी पक्ष की ओर से सजा बिन्दुओं पर आपत्ति के बाद फैसले की तारीख 18 मार्च तक टाल दी है। कोर्ट न्यायाधीश दिनेश गुप्ता ने सजा बिन्दुओं की रुलिंग पेश करने को कहा है। पिछली तारीख पर कोर्ट ने देवेन्द्र गुप्ता, भावेश पटेल और सुनील जोशी को अजमेर बम धमाके के षड्यंत्र और bhavesh-patel-ajmer-bomb-blastबम धमाकों के लिए दोषी करार दिया। सुनील जोशी का मर्डर हो चुका है। देवेन्द्र व भावेश पटेल जेल में है। प्रकरण में आरोपी स्वामी असीमानंद समेत सात आरोपियों को बरी कर दिया था। अजमेर दरगाह में हुए बम धमाके में तीन जायरीन की मौत हो गई थी और पन्द्रह घायल हो गए थे। न्यायाधीश दिनेश गुप्ता ने तीनों आरोपियों को दोषी करार देते हुए फैसला की तारीख 16 माचज़् तय की थी, लेकिन अब फैसले की तारीख 18 तक टाल दी है। गौरतलब है कि 11 अक्टूबर 2007 को अजमेर स्थित सूफ ी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह परिसर के आहते में बम धमाका हुआ। बम धमाके के वक्त बड़ी संख्या में जायरीन मौजूद थे। धमाकों से दरगाह परिसर दहल उठा। अहाते में चारों तरफ खून से लथपथ महिला और पुरुष पड़े हुए थे। कुछ के हाथ-पैर गायब थे। चारों तरफ खून व मांस के लोथड़े बिखरे हुए थे। सूचना पर पुलिस पुलिस, खादिमों और जायरीनों ने घायलों को अस्पताल पहुंचाया। बम धमाकों में तीन जनों की मौत हुई तो पन्द्रह से अधिक गंभीर घायल हो गए। पुलिस ने तलाशी अभियान चलाया तो परिसर में एक लावारिश बैग मिला, जिसमें टाइमर डिवाइश वाला जिंदा बम था। बम निरोधक दस्ते ने जिंदा बम को वहां से हटाकर निष्क्रिय किया। पहले सीबीआई और बाद में भगवा आतंकवाद के संगठनों के नाम सामने आने पर यूपीए सरकार ने जांच एनआईए को सौंपी। एनआईए ने अभिनव भारत के असीमानंद, भावेश पटेल समेत तेरह आरोपियों की गिरफ्तारी की और इनके खिलाफ चालान पेश किया। स्वामी असीमानन्द समेत आठ जमानत पर है और शेष जेल में है। एक की मौत हो चुकी है। मामले में तीन आरोपी अभी भी फरार हैं। (जनप्रहरी एक्सप्रेस डॉट कॉम)

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