Ajmer collector does not respect senior citizens

जयपुर। अजमेर कलेक्टर के पद पर रहीं आईएएस अफसर अरुषि मलिक को एक वरिष्ठ नागरिक का सम्मान न करना भारी पड़ गया है। जस्टिस एच.एल.दत्तू की अध्यक्षता वाले राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने पीडि़त वरिष्ठ नागरिक सत्यनारायण गर्ग को 10 हजार रुपए का मुआवजा दिलवाने के आदेश दिए हैं। यह मुआवजा राजस्थान सरकार के मुख्य सचिव के द्वारा दिलवाया जाना है। देश के प्रशासनिक इतिहास में संभवत: यह पहला अवसर होगा, जब किसी राज्य सरकार को इस तरह वरिष्ठ नागरिक को इतनी बड़ी राशि का भुगतान करना पड़ेगा।

अजमेर के पट्टी कटला निवासी पूर्व पार्षद सत्यनारायण गर्ग ने 26 अक्टूबर 2015 को एक शिकायत राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग नई दिल्ली को भेजी थी। इस शिकायत में बताया गया कि 23 अक्टूबर 2015 को वे भ्रष्टाचार के दो प्रकरणों के संबंध में अजमेर की कलेक्टर अरुषि मलिक से मिलने गए थे। नियमानुसार उन्होंने कलेक्टर के पास पर्ची भिजवाई, लेकिन मुझ 73 वर्षीय नागरिक को डेढ़ घंटे तक पोर्च में खड़ा रखा गया। डेढ़ घंटे बाद जब मैं कलेक्टर से मिला तो कलेक्टर ने मेरे पत्रों को फेंकते हुए कमरे से बाहर चले जाने को कहा। गर्ग की इस शिकायत को गंभीरता से लेते हुए आयोग ने राज्य सरकार को पूरे घटना क्रम की जांच करवाकर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए। आयोग के निर्णय पर हुई जांच में सरकार ने गर्ग की शिकायत को ही झूठा बता दिया।

इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि कलेक्टर के कक्ष में सीसीटीवी कैमरे नहीं है, इसलिए यह पता नहीं चलता है कि गर्ग २३ अक्टूबर २०१५ को कलेक्टर से मिलने गए भी या नहीं। लेकिन आयोग ने सरकार की इस जांच रिपोर्ट को ठुकरा दिया। राज्य सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह विभाग) की ओर से आयोग से पुन: विचार करने हेतु प्रार्थना भी की गई। आयोग ने दुबारा से यह निर्देश दिए कि आठ सप्ताह में वरिष्ठ नागरिक गर्ग को 10 हजार रुपए का भुगतान कराया जावे साथ ही तत्कालीन जिला कलेक्टर अरुषि मलिक के खिलाफ विभागीय जांच भी कराई जावे। इस संबंध में आयोग के विधि अधिकारी ने गर्ग को पत्र लिखकर पूरे मामले की जानकारी दी है। इस पत्र में यह भी बताया गया कि इस मामले की सुनवाई आयोग की पूर्ण बैठक में हुई, उसी के बाद सर्वसम्मति से यह आदेश जारी किया गया।

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