जयपुर। सूफ ी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाहए अजमेर में दस साल पहले हुए बम धमाके मामले में दोषी करार दिए गए आरोपी देवेन्द्र गुप्ता और भावेश पटेल को आज बुधवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। एनआईए की विशेष अदालत के न्यायाधीश दिनेश गुप्ता ने देवेन्द्र और भावेश को उम्रकैद की सजा सुनाते हुए दोनों पर क्रमश पांच और दस हजार रुपए का हर्जाना भी लगाया है। सजा के फैसले के दौरान बड़ी संख्या में पक्षकार, पुलिसकर्मी और वकील मौजूद रहे। सजा सुनाए जाने के बाद दोनों को जेल ले जाया गया। देवेन्द्र और भावेश पटेल ने एनआईए कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करने की कही है। पिछली तारीख पर कोर्ट ने गुप्ता और भावेश के अलावा सुनील जोशी को बम धमाकों के षड्यंत्र में दोषी करार दिया था। सुनील जोशी का मर्डर होने के कारण उनके खिलाफ कार्रवाई ड्रॉप कर दी गई। मामले में चार आरोपी फरार हैं, जिनके बारे में एनआईए से 28 मार्च तक रिपोर्ट मांगी है। वहीं प्रकरण में मुख्य आरोपी माने जा रहे स्वामी असीमानंद समेत सात आरोपियों को कोर्ट ने बरी कर दिया था। गौरतलब है कि 11 अक्टूबर 2007 को अजमेर स्थित सूफ ी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह परिसर के आहते में बम धमाका हुआ। बम धमाके के वक्त बड़ी संख्या में जायरीन मौजूद थे। धमाकों से दरगाह परिसर दहल उठा। अहाते में चारों तरफ खून से लथपथ महिला और पुरुष पड़े हुए थे। कुछ के हाथ-पैर गायब थे। चारों तरफ खून व मांस के लोथड़े बिखरे हुए थे। सूचना पर पुलिस पुलिसए खादिमों और जायरीनों ने घायलों को अस्पताल पहुंचाया। बम धमाकों में तीन जनों की मौत हुई तो पन्द्रह से अधिक गंभीर घायल हो गए। पुलिस ने तलाशी अभियान चलाया तो परिसर में एक लावारिश बैग मिला, जिसमें टाइमर डिवाइश वाला जिंदा बम था। बम निरोधक दस्ते ने जिंदा बम को वहां से हटाकर निष्क्रिय किया। पहले सीबीआई और बाद में भगवा आतंकवाद के संगठनों के नाम सामने आने पर यूपीए सरकार ने जांच एनआईए को सौंपी। एनआईए ने अभिनव भारत की लिप्तता मानते हुए मामले में स्वामी असीमानंद, भावेश पटेल समेत तेरह आरोपियों की गिरफ्तारी की और इनके खिलाफ चालान पेश किया। स्वामी असीमानन्द समेत आठ जमानत पर है और शेष जेल में है। एक की मौत हो चुकी है।
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