बाल मुकुन्द ओझा
‘मां न सिर्फ बच्चे को जन्म देती है, बल्कि उसके दिमाग, व्यक्तित्व और आत्मविश्वास को भी आकार देती है। मुझे कोई संदेह नहीं कि मेरे जीवन और चरित्र में जो कुछ भी अच्छा है, उसका श्रेय मेरी मां को जाता है।’ ये पंक्तियां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हैं, अपनी मां के लिए। मोदी ने मां के 100वें जन्मदिन 18 जून 2022 को एक ब्लॉग लिखा था। ये बातें तभी लिखी थीं। मां बेटे के प्यार की गजब कहानी हमने किस्से कहानियों और फिल्मों में देखा और सुना है मगर इसे धरातल पर साकार किया है नरेंद्र मोदी ने। मां का प्यार तो अनमोल होता है, जिसका कर्ज नहीं चुकाया जा सकता, मगर बुढ़ापे में उसका ख्याल रखकर बेटा अपना फर्ज तो निभा ही सकता है। वो बेटा बहुत खुशनसीब होता है, जिसका मां पर अटूट विश्वास बना रहता है। एक मजबूत मां अपने बेटे को दुनिया से डरना नहीं, बल्कि मुश्किल हालात में डटकर लड़ना सिखाती है। बेटा चाहे कितना ही बड़ा क्यों न हो जाये मगर एक मां के लिए सदैव छोटा लाडला ही होता है। सच में मां हीरा बेन को मोदी जैसा प्यार करने वाला बेटा मिला। जो हर सुख दुःख में अपनी मां के साथ खड़ा मिलता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीराबेन मोदी का आज सुबह निधन हो गया। हीराबेन ने 100 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। हीराबेन अपने भाई-बहनों में सबसे छोटी थी और उनका पालन-पोषण उनकी नानी ने किया था। हीरा बा का विवाह दामोदर दास मूलचंद मोदी के साथ हुआ था। हीराबेन के छह बच्चे हैं, जिनमें पांच बेटे और एक बेटी है। नरेंद्र मोदी उनके तीसरे बेटे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अपनी मां के साथ बहुत ही प्यारा रिश्ता था। जिसे उन्होंने कभी छिपाया नहीं। वह जब भी कोई शुभ काम करने जाते थे पहले अपनी मां का आर्शीवाद जरूर लेते थे। मोदी के संघर्ष की कहानी तो दुनिया जानती हैं लेकिन हीराबा का जीवन भी कम संघर्ष से भरा नहीं था। खुद मोदी इस बात का जिक्र कर चुके हैं कि मां हीराबेन ने क्या कुछ झेला है। मां के 100वें जन्मदिन पर मोदी ने एक ब्लॉग के जरिए बहुत सारी जानकारी दी थी। अपने ब्लॉग में पीएम मोदी ने मां हीराबा के बारे में बात करते हुए बताया था कि उनका जन्म विसनगर के पालनपुर में हुआ था और बहुत छोटी उम्र में उनकी शादी हो गई थी। इतना ही नहीं जब मां छोटी थी तो उन्होंने स्पेनिश फ्लू महामारी में अपनी मां को खो दिया। उन्हें अपनी मां का चेहरा तक याद नहीं था। उन्होंने कभी स्कूल का चेहरा नहीं देखा। उनका जीवन गरीबी और संघर्षों से भरा था। उन्होंने आगे लिखा कि वो हम सबको पालने के लिए घर से निकलकर काम करती थी। किसी के घर बर्तन तो किसी के घर कपड़े धोती थीं। सिर्फ हमें पढ़ाने के लिए वो दूसरों के घरों में काम करती थी लेकिन कभी हमारी फीस भरने के लिए किसी से उधार नहीं लिया।
मोदी ने मार्क जुकरबर्ग को दिए एक इंटरव्यू में भी इस बात का ज़िक्र किया था कि मां हीराबेन का जीवन कितना संघर्षों में बीता था। मोदी मेटा के स्टेज पर इमोशनल भी हो गए थे और कुछ बोल नहीं पाए थे। उनके पूछा गया था कि आप अपनी मां से बहुत प्यार करते हैं, उनका आपके जीवन में क्या महत्व रहा। उसपर उन्होंने जवाब दिया था कि हर बच्चे के जीवन का मां बहुत महत्व होता है, मेरे जीवन में भी है। उन्होंने हमेशा मुझे प्रेरणा दी है। वो आज भी घर का सारा काम खुद करती हैं।

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