Amit Shah's son will face defamation suit on The Wire tomorrow next hearing

अहमदाबाद। अभी हाल में एक पोर्टल पर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के पुत्र जय शाह के संपत्ति को लेकर खुलासा किया गया था। जिसको लेकर काफी बवाल मचा हुआ है। आरोप लगते ही भाजपा की पूरी पार्टी अमित शाह के बेटे के बचाव में उतर आई है और द वायर नाम के पोेर्टल पर लेख लिखने वाली जर्नलिस्ट पर सवालों की बौछार कर दी है। तथा जय ने उन पर मानहानि का दावा ठोक दिया है। जिसकी सुनावाई 11 अक्टूबर यानि कल होगी। वहीं मानहानि का दावा ठोकने पर द वायर की लेखिका ने कहा है कि मैंने जो किया सही किया । इस खबर में दावा किया गया है कि वर्ष 2014 में पार्टी के सत्ता में आने के बाद जय की कंपनी के कारोबार में कथित रूप से बेतहाशा वृद्धि हुई। अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट एसके गढ़वी ने आपराधिक दंड संहिता की धारा 202 (यह निर्णय लेने के लिए मामले की जांच करना कि सुनवाई के लिए पर्याप्त आधार है या नहीं) के तहत मामले की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं।

शाह ने अपनी याचिका में शर्मनाक, बेहूदा, भ्रमित, अपमानजनक, निंदात्मक और कई अपमानजनक टिप्पणियों वाले एक लेख के जरिए शिकायतकर्ता की मानहानि करने और उसकी प्रतिष्ठा बिगाड़ने के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की अपील की। इस मामले में सात प्रतिवादी लेख की लेखिका रोहिणी सिंह, न्यूज पोर्टल के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वर्द्धराजन, सिद्धार्थ भाटिया और एमके वेणू, प्रबंध संपादक मोनोबिना गुप्ता, पब्लिक एडिटर पामेला फिलिपोस और द वायर का प्रकाशन करने वाली गैर लाभकारी कंपनी फाउंडेशन फॉर इंडीपेंडेंट जर्नलिज्म हैं। भारतीय दंड संहिता की धारा 500 (मानहानि), 109 (उकसाना), 39 (जानबूझकर गंभीर नुकसान पहुंचाना) और 120 बी ( आपराधिक षडयंत्र) के तहत मामला दर्ज किया गया है। शाह ने कहा कि न्यूज पोर्टल ने पहले एक लेख प्रकाशित किया जिसे बाद में मौजूदा स्वरूप में संपादित और अलग शब्दों में पेश किया गया। उन्होंने कहा, आरोपी ने लेख के मूल रूप के स्थान पर प्रकाशित मानहानिजनक लेख का मनगढंत, अलग शब्दों में पेश किया और संपादन करने के लिए साजिश रची।

शाह ने दावा किया कि उनकी मानहानि करने के लिए यह पूर्व निर्धारित साजिश थी। उन्होंने कहा कि उन्हें जवाब देने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया गया और उनके जवाब के आधार पर आगे कोई खोजबीन नहीं की गई। उन्होंने कहा कि लेख में वित्तीय वर्ष 2015-16 में उनकी कंपनी को हुआ नुकसान नहीं दिखाया गया और इसी वित्तीय वर्ष के लिए उनके कुल लाभ और टर्नओवर को जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण रूप से दो अलग-अलग पैराग्राफ से जोड़ा गया जिसका आपस में कोई जुड़ाव नहीं था। द वायर ने अपनी खबर में कहा है कि जय शाह की कंपनी के टर्नओवर में वर्ष 2014 में भाजपा के सत्ता में आने के बाद बेतहाशा वृद्धि देखी गई। हालांकि, जय शाह ने आरोप खारिज करते हुए इस खबर को झूठा, अपमानजनक और मानहानिजनक बताया। अदालत ने कहा कि वह मामले की शुरूआती जांच पूरी होने के बाद प्रतिवादियों को सम्मन जारी करेगी। न्यायिक जांच के लिए अगली सुनवाई 11 अक्तूबर को होगी और उस दिन लेख के प्रकाशन के बारे में सबसे पहले जय शाह को सूचना देने वाले दो गवाह अपने बयान दर्ज करा सकते हैं। शाह ने अभी प्रतिवादियों के खिलाफ दीवानी मानहानि का मुकदमा दायर नहीं किया है। उन्होंने पहले घोषणा की थी कि वह 100 करोड़ रुपये की दीवानी मानहानि का मुकदमा भी दायर करेंगे। गोल्डन टच आॅफ जय अमित शाह शीर्षक वाले इस लेख के प्रकाशित होने के बाद राजनीतिक तूफान पैदा हो गया है। कांग्रेस ने इस मामले में जांच की मांग की है जबकि भाजपा ने लेख को मानहानिजनक बताया है।

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